जिंदगी की हर चोट को इस्तेमाल किया सलीके से, हर बार हम थोड़ा ज़्यादा मुस्कुराए : इरा टाक
बीकानेर में जन्मीं इरा टाक ने बीएससी, एमए (इतिहास ) और मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है. हिंदी ऑडियो स्टोरी की दुनिया में लेखक के तौर पर इरा इन दिनों ख़ासा लोकप्रिय हैं. उपन्यास ‘लव ड्रग’ के बाद हाल ही में पेंगुइन रैंडम हाउस- हिंद पॉकेट बुक्स उनका कहानी संग्रह ‘कुछ पन्ने इश्क़’ प्रकाशित हुआ है. इरा के अब तक तीन काव्य-संग्रह, ‘अनछुआ ख़्वाब’, ‘मेरे प्रिय’, और ‘कैनवस पर धूप’ प्रकाशित हो चुके हैं. कहानी-संग्रह की बात करें, तो ‘रात पहेली’, ‘लव ड्रग’ और अब ‘कुछ पन्ने इश्क़’… स्टोरीटेल (Storytel) पर उनके ऑडियो नावेल के तौर पर, ‘गुस्ताख इश्क’ और ‘प्यार के इस खेल में’ को सुना जा सकता है, साथ ही ऑडियो बुक्स में ‘मेरे हमनफ़स’, ‘ये मुलाक़ात इक बहाना है’, ‘किलर ऑन हंट’, ‘रिज़र्व सीट’, ‘पटरी पर इश्क़’ और ‘रंगरेज़ पिया’ पहले से मौजूद हैं. इरा ने लाइफ लेसन बुक्स पर भी काम किया है, जिनमें ‘लाइफ सूत्र’ और ‘RxLove366’प्रमुख हैं. चित्रकार के रूप में इरा दस एकल प्रदर्शनियां कर चुकी हैं, साथ ही एक फिल्मनिर्देशक के तौर पर ‘फ्लर्टिंग मैनिया’, ‘डब्लू टर्न’, ‘इवन दा चाइल्ड नोज’ और ‘रेनबो’ उनके खाते में पहले से दर्ज़ हैं. इन दिनों इरा अपने लेखन के साथ-साथ बॉलीवुड में स्क्रिप्ट-राइटिंग (पटकथा) पर भी काम कर रही हैं.
साल 2011 में इरा टाक की एक पेंटिंग फेसबुक के माध्यम से अमेरिका में $250 में बिकी, जिसके बाद उन्हें रास्ता मिला और उन्हें लगा कि अब वह खुद को एक चित्रकार के रूप में स्थापित कर सकती हैं. लिखने-पढ़ने का शौक इरा को बचपन से था. बचपन के एकांत में उन्होंने अनगित डायरियां भर दीं. लेखन की दुनिया में आने के बारे में इरा की पहले से कोई योजना नहीं थी, लेकिन पेंटिंग्स के रंगों ने उनके जीवन में जो नए रंग घोले, उसने कई नए रास्ते खोले और इरा ने लिखना शुरू किया. यही वजह थी, कि डायरी से निकल कर उनकी कहानियों-कविताओं ने प्रकाशित किताबों का रूप ले लिया.
अपनी यात्रा पर बात करते हुए इरा कहती है, “मेरी क्रिएटिव जर्नी की शुरुआत बहुत ही रहस्यमयी तरीके से हुई या यह कह लीजिए कि जब मैं अंधेरों में भटक रही थी, तो कुदरत ने मेहरबानी करके मेरा हाथ थामा और मुझे मेरे प्रारब्ध की ओर जाने वाला रास्ता दिखा दिया. लेखन और चित्रकारी ने मुझे हील करने का काम किया है. मैं जो हूं, अगर मैं यह न होती तो शायद मैं कुछ भी नहीं होती. यही मेरी दुनिया है. अब लगता है मैं इसके लिए ही बनी थी. मैंने कभी नहीं सोचा था, कि मैं पेंटर या राइटर बनूंगी, लेकिन जैसे-जैसे मैं चलती गई रास्ते अपने आप खुलते गए. 2011 में शुरू हुआ मेरा यह सफर 12 साल पूरे कर चुका है और 12 साल में मैंने जो भी हासिल किया है, उसका श्रेय मैं अपनी ज़िद, जीवन में आए अंधेरों, अपनी मेहनत और ज़िंदगी से जुड़े कुछ बेहद सकारात्मक और प्यारे रिश्तों को देती हूं.”
अपनी एक कविता की चंद पंक्तियां पढ़ते हुए (मुस्कुरा कर) इरा कहती हैं, “उजाले के पीछे की पीड़ाएं, जाना वही जाना, समझा जिसने, दिए का जलना…” बात तो काफी हद तक सही है. अब तक उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया है, उसका श्रेय इरा जीवन में आए उतार-चढ़ाव और मुश्किल अंधेरों’ को देती हैं. रोने, शिकायतें करने और शोर करने से इतर इरा ने हर दर्द, हर तकलीफ, हर चुनौती और हर संघर्ष को एक किनारे रख लेखन और अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने में पूरी तरह खुद को झोंक दिया. अपनी शर्तों पर जीने वाली इरा टाक को सपने देखना अच्छा लगता है और वह उन्हें पूरा करना भी जानती हैं. अपने नाम से पहचाने जाने की जो भूख उनके भीतर कई साल पहले उठी थी, उसे उन्होंने आज तक मरने नहीं दिया है, बल्कि आगे बढ़ती गई हैं. किसने सोचा था, कि चुपचाप अंधेरों में जीने वाली एक दब्बू-सी लड़की, किसी दिन बागी बन कर खुले आसमान के सपने देखेगी. लेकिन कहते हैं न, कि करने की अगर ज़िद हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं.
कहानी-संग्रह ‘कुछ पन्ने इश्क’ के साथ इरा टाक
‘कुछ पन्ने इश्क’ इरा का दूसरा कहानी-संग्रह है. पहला कहानी संग्रह ‘रात पहेली’ साल 2017 में भारत पुस्तक भंडार से प्रकाशित हुआ था. ‘कुछ पन्ने इश्क’ का प्रकाशन अक्टूबर 2022 में पेंगुइन रेंडम हाउस हिंद पॉकेट बुक्स द्वारा किया गया है, जिसमें ग्यारह कहानियां हैं- ‘फ्लर्टिंग मेनिया’, ‘दुल्हन वाली पुलिया’, ‘कुछ पन्ने इश्क…’, ‘एफ एस32’, ‘मैडम का बंटी’, ‘लव इन क्राइसिस’ नाम की कहानियां सत्य घटनाओं से प्रेरित हैं, साथ ही ‘सोते मोहल्ले की मौसी जी’, ‘दिखावा लाइव’, ‘छूटे हुए धागे’, ‘भुट्टे का खेत’, ‘गोवा का पुराना चर्च और एक अकेला दिल’ तथा ‘शुक्राना दिल से!’ जैसी कहानियां भी इस संग्रह का हिस्सा हैं.. इस संग्रह में अधिकतर कहानियां ‘प्रेम कहानियां’ हैं.
इरा कहती हैं, “‘फ्लर्टिंग मेनिया’ मेरी पहली ऐसी कहानी थी जो बहुत लोकप्रिय हुई थी, जिस पर 2016 में इसी नाम से मैंने एक शॉर्ट फिल्म बनाई थी, जहां से मेरे फिल्मी सफ़र की भी शुरुआत हुई थी. कहानी कई पत्र-पत्रिकाओं में और सोशल साइट पर छपी और इसके लिए मुझे बहुत लोगों के मेल मिले. यह कहानी आज के दौर की कहानी है, जहां हम सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का फायदा उठाते हुए एक साथ अनगिनत नए रिश्ते बना लेते हैं और जो हमें सच्चा प्रेम करता है उसे धोखा देते रहते हैं.”
रिश्तों और प्रेम पर बात करते हुए इरा कहती हैं, “भले ही समय बहुत आधुनिक हो गया हो, प्रेम भी आधुनिक हो गया हो, लेकिन उसके बने रहने के लिए सच्चाई, ईमानदारी और कमिटमेंट का होना बहुत ज्यादा जरूरी है. मेरी कहानियां ‘मैडम का बंटी’ ‘एफएस 32’, ‘सोते मोहल्ले की मौसी जी’ में जो ह्यूमर है, वह वर्तमान सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष है. ऑडियो प्लेटफॉर्म्स पर तो मुझे मूलतः प्रेम का लेखक मान लिया गया है. वहां मेरी लिखी लव स्टोरीज़ और सीरीज बहुत हिट रही हैं. लोग मुझे मज़ाक में बोलते हैं, मैंने लव पर पीएचडी की हुई है. पर मैं हर तरह की शैली (genre) में लिख रही हूं, फिर चाहे वह क्राइम हो, सस्पेंस हो या हॉरर हो. हां, लेकिन ये भी एक बड़ा सच है कि प्रेम पर लिखना मुझे बेहद पसंद है, क्योंकि इसमें अपार संभावनाएं हैं.”
कहानी-संग्रह ‘कुछ पन्ने इश्क’ की बात करते हुए इरा कहती हैं, “इस संग्रह को आप एक तरह से मेरे लेखन का निचोड़ मान सकते हैं. इस कहानी संग्रह में आपको हर तरह का स्वाद मिलेगा, जो आपको हंसाएगा भी और रुलाएगा भी… कहीं-कहीं गुदगुदाएगा, तो कहीं डराएगा भी… कई दफा तो आंखें भी भिगो देगा. इस संग्रह की सारी कहानियां मेरे दिल के बहुत करीब हैं.”
‘कुछ पन्ने इश्क’ के बारे में ममता कालिया लिखती हैं, “‘कुछ पन्ने इश्क’ इरा टाक का नवीनतम कहानी संग्रह. इरा की कहानियां चौथे गियर में लिखी गई हुई रचनाएं हैं. एक झन्नाटे से लिखी गई हैं. कहानी लिखने के दस तरीके होते हैं, उनमें से एक तरीका इरा से सीख सकते हैं. अगर कथानक लेखक के दिमाग में साफ़ है, तो उसकी बोलती-चलती तस्वीर तुरंत शब्दों में उतार लो. ‘लव इन क्राइसिस’ कहानी में इरा सहजीवन के रोमांटिक सपने को एक तरह से पिन चुभाती हैं. इरा को हम एक नया नाम दे सकते हैं, त्वरा टाक!”
यदि आपने इरा टाक के कहानी-संग्रह ‘कुछ पन्ने इश्क’ नहीं पढ़ा है, तो इसे ज़रूर पढ़ें. किताब के नाम से तो इश्क होगा ही होगा, इरा और उनके लेखन को थोड़ा और करीब से जानने का मौका भी मिलेगा. अंत में, इरा के बारे में बस इतना ही, ‘कि स्त्री जब बहादुर होती है तो खटकती भी है और मोहब्बत भी पाती है, लेकिन अच्छी बात है कि अंतत: स्वीकार्य होती है…’
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FIRST PUBLISHED : June 22, 2023, 16:20 IST