जिनपिंग के ‘दोस्त’ बताए जा रहे दिसानायके पहले आएंगे भारत, फिर जाएंगे चीन, समझिए मायने



Dissanayake India Visit 2024 12 f13ee67d38771e4d070df67f2c5cd9e7 जिनपिंग के 'दोस्त' बताए जा रहे दिसानायके पहले आएंगे भारत, फिर जाएंगे चीन, समझिए मायने

नई दिल्ली. श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके ने जब चुनाव जीता था तो उनको चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी बताया जा रहा था. फिलहाल दिसानायके अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आ रहे हैं. वो 15 से 17 दिसंबर तक भारत की यात्रा करेंगे. यह महत्वपूर्ण यात्रा, जो उनकी ऐतिहासिक चुनावी जीत के तुरंत बाद हो रही है. दिसानायके का ये दौरा दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. अपनी यात्रा के दौरान दिसानायके भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे. उनके साथ विदेश मंत्री विजिता हेराथ और वित्त उप मंत्री अनिल जयंता फर्नांडो सहित प्रमुख अधिकारी भी होंगे.

श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके को नई दिल्ली आने का निमंत्रण भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया था. जो सितंबर में दिसानायके के चुनाव के बाद श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेशी गणमान्य व्यक्ति थे. दिसानायके का भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब श्रीलंका 2022 के अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है. श्रीलंका अपने 46 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज को नहीं चुका सका है. उसकी मुद्रा का दाम गिरा और देश भोजन, ईंधन और दवा जैसी जरूरी वस्तुओं की कमी के हालात से जूझ रहा है.

भारत की बड़ी मदद
श्रीलंका की रिकवरी में भारत की भूमिका बड़ी रही है. पिछले कुछ साल में भारत ने बड़ी वित्तीय सहायता और समर्थन श्रीलंका को दिया है. ये मदद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत निवेश के जरिये श्रीलंका को अपने कब्जे में करने के चीन के बढ़ते असर के विपरीत है. चीन श्रीलंका का सबसे बड़ा कर्जदाता है. जिसने हंबनटोटा बंदरगाह जैसी प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को कर्ज दिया है. ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसने श्रीलंका की संप्रभुता और आर्थिक आजादी के बारे में चिंताएं जगाई हैं.

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ड्रैगन की चाल
दूसरी ओर भारत अपने इलाके में पड़ोसी पर अपने असर को सुरक्षित रखने और श्रीलंका में बीजिंग के असर को रोकने के लिए जुटा है. हाल के समय नें भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को बढ़ाया है. जो चीनी निवेश के विकल्प प्रदान करते हैं. दोनों देश गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध साझा करते हैं. दिसानायके की यात्रा से व्यापार, सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है. जबकि दिसानायके जनवरी में बीजिंग का दौरा करने वाले हैं. भारत और चीन के बीच संतुलन श्रीलंका के लिए एक नाजुक मामला साबित हो रहा है. जिसे वित्तीय सहायता और दीर्घकालिक स्थिरता की तलाश में अपने विदेशी संबंधों को सावधानीपूर्वक संभालना होगा.

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