झोंका रोग से फसलों को बचाने के उपाय, कृषि वैज्ञानिक से जानिए सलाह और बचाव के उपाय


रायपुर: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में किसानों को धान की खेती करने के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कभी बारिश, कभी सूखा, कभी पानी, कभी रोग, कभी कीटों से किसानों का फसल प्रभावित होता है. इन दिनों प्रदेश में धान की खेती जोर शोर से हो रही है,लेकिन कई ऐसे किसान हैं जो इन दिनों बैक्टीरियल लीफ लाइफ नामक रोग से परेशान हैं. बोलचाल की भाषा में इसे झोंका रोग भी कहते हैं. इसकी वजह से पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन प्रभावित होता है. आइए आज हम इस रोग की पहचान, लक्षण और निजात पाने के उपायों के बारे में बताने वाले हैं.

राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के किट विज्ञान विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने लोकल 18 को बताया कि अभी धान की फसल फफूंद जनक रोग और बैक्टीरिया जनक रोग के अलावा किट से प्रभावित हो रही है. अभी मुख्य समस्या है धान की खेत में बैक्टीरियल लीफ लाइफ का है. बैक्टीरियल लीफ लाइफ उन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा दिखाई देती है जहां पर धान के बाद फिर से धान की खेती होती है. यह छायें वाले क्षेत्र में सबसे पहले दिखाई देता है. साथ ही यह जीवाणु जनित रोग होता है. जैन्थोमोनास ओराइजी नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है.

ऐसे कर सकते हैं पहचान
डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने आगे बताया कि पत्ते के टिप में पीलापन चालू होता है. धारीदार, लहरदार धब्बे बनते हैं जो नीचे की तरफ आता है. ग्रामीण अंचल के लोग अपनी भाषा में बाहरी पान बीमारी, पुराना पत्ता पैरा जैसे दिखाई दे रहा है ऐसा कहते हैं. पहचानने के लिए बैक्टीरिया का उस प्रातः कालीन देखने से पत्ती के टिप में जो द्रव्य दिखाई देते हैं वह बैक्टीरिया का द्रव्य रहता है. जब यह नीचे पानी में गिरता है तब धीरे धीरे पूरे खेत में इसका फैलाव होता है.

रोकथाम के लिए अपनाए ये तरीके
ऐसी समस्या से बचने के लिए रोग निरोधी वाले धान की किस्मों का रोपड़ करना चाहिए. यदि रोग निरोधक किस्म नही है और यह बीमारी आ चुकी है तो खेत के पानी को खोल देना चाहिए, दो से चार तक खेत को सुखा रखना चाहिए इसके अलावा पोटाश की अतिरिक्त मात्रा का छिड़काव करना चाहिए और स्टेप्टोसायक्लीन नामक दवा को 2 ग्राम प्रति 15 लीटर पंप के हिसाब से या 6 से 8 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से इसका उपयोग करना चाहिए. साथ ही प्लांटोमाइसिन की दवा, वेलिडा माइसिन की दवा जिसका 3 से 4 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए.

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