ठंड की फसलों पर भी होगा अल नीनो का असर, अगले साल टूट सकता है गर्मी का रिकॉर्ड
पिछले कुछ दशकों में दुनिया की जलवायु पर अल नीनो के असर का ज्यादा ही दिखाई देने लगा है. लेकिन भारत में इसका गर्मी और मानसून के मौसम पर असर कैसा हो सकता है इस पर ज्यादा विश्लेषण होता है. इस साल भी अल नीनो का असर दुनिया भर में और साथ ही भारत में भी देखने को मिल रहा है. भारत में फिलहाल मानसून भारत में देरी से आया है और देश में कई इलाकों में अब भी उसका इंतजार हो रहा है. मौसम विभाग का कहना है कि अल नीनो का सर्दी के मौसम और अगले साल की गर्मी पर कैसा असर होगा. इसका देश की रबी की फसल खास तौर पर गेहूं पर ज्यादा होगा.
सर्दी और ग्रमी पर होगा कैसा असर
भारत के मौसम विभाग का कहना है कि अल नीनो सबसे बुरा असर सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ेगा. इसका एक बड़ा असर यह भी देखने को मिलेगा कि अगले साल की गर्मी सबसे भीषण होने वाली है. भारत में गर्मी के मौसम से ही तय होता है कि देश में मानसून कैसा होगा जबकि सर्दियों में बारिश में पश्चिमी विक्षोभ जैसे प्रभावों की भी बड़ी भूमिका होती है.
सात साल पहले दिखा था दुनिया में प्रकोप
सात साल पहले प्रशांत महासागर में मजबूत अल नीनो का असर देखने को मिला था. इससे दुनिया भर में मौसमी घटनाओं का ऐसा सिलसिला चला था जिसके विनाशकारी नतीजे देखने को मिले थे. इंडोनेशिया में भीषण जंगल की आग वाले सूखे दिखे तो अफ्रीका के कई इलाकों में भारी बारिश देखने को मिली थी और गर्मी ने दुनिया भर में नए रिकॉर्ड कायम किए थे.
इस साल टूटेंगे रिकॉर्ड
अल नीनो की वजह से प्रशांत महासागर की सतह का तापामान करीब 4-5 डिग्री तक बढ़ जाता है. जो हर दो से सात सालों में देखने को मिलता है. बताया जा रहा है कि इस साल अल नीनो उसी तीव्रता वाले असर के साथ लौटा है. इससे आने वाले समय में मौसम को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं. अनुमान है कि इस साल अल नीनो सारे रिकॉर्ड तुड़वा देगा.
रबी की फसलों पर होगा ज्यादा असर
भारत के मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डीएस पाई का कहना है कि अल नीनो का भारत में सर्दी के मौसम पर असर देखने को मिलेगा. सर्दी की बारिश भारत में गेहूं, चना, दाल आदि रबी की फसल के प्रमुख कारक है. इतना ही नहीं रबी की फसल का मानसून के बाद के हिस्से पर पड़ना तय माना जा रहा है.
सर्दियों में और ज्यादा तेज असर दिखेगा
भारत के मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अल नीनो इस साल जून से अगस्त के बीच में विकसित हो रहा है. लेकिन दूसरी तरफ अमेरिकी सरकार के क्लाइमेट प्रिडिक्शन सेंटर का कहना है कि अल नीनो के हालात मौजूद हैं और आगे उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी के मौसम में और ज्यादा मजबूत होता जाएगा.
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