तीन महीने में रायपुर अधिवेशन के एलान भूली कांग्रेस! बिहार में भूमिहार-ब्राह्मण वोट पर लगाया दांव



<p style="text-align: justify;">कांग्रेस ने बिहार के नव नियुक्त जिलाध्यक्षों की जो सूची जारी की है उनमें करीब पचास प्रतिशत ब्राह्मण और भूमिहार जाति से हैं. कुल 39 जिलाध्यक्षों में से करीब 66 प्रतिशत अगड़ी जातियों से हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार कांग्रेस के 39 जिलाध्यक्षों को नियुक्त किया है. इनमें से 11 भूमिहार, 8 ब्राह्मण, 6 राजपूत, 5 मुस्लिम, 4 यादव, 3 दलित, 1 कुशवाहा और 1 कायस्थ जाति से हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और विधायक दल के नेता अजीत शर्मा भी भूमिहार जाति से ही हैं. हालांकि नीतीश सरकार में कांग्रेस कोटे के दो मंत्रियों में से एक दलित एक मुस्लिम है.</p>
<p style="text-align: justify;">कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में कांग्रेस की रणनीति भूमिहार और ब्राह्मण समाज को अपने पाले में करने की है जिन्हें बीजेपी का वोटर माना जाता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">बीते कुछ समय से बीजेपी बिहार में पिछड़ा वोटर को लुभाने में लगी है ऐसे में कांग्रेस बीजेपी के वोट में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. वैसे भी नीतीश और लालू के साथ गठबंधन के कारण कांग्रेस को दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वोट मिलने का भरोसा है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन बिहार में अगड़ा समीकरण साधने के चक्कर में कांग्रेस ने अपने रायपुर अधिवेशन के उस अहम एलान को भुला दिया जिसमें ब्लॉक से लेकर सीडब्ल्यूसी तक 50 प्रतिशत पद ओबीसी, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्ग के लिए आरक्षित करने की बात कही गई थी.</p>



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