दिल्ली चुनाव में बीजेपी की जीत, अरविंद केजरीवाल की हार


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Delhi Chunav Result: दिल्ली में 10 साल बाद आम आदमी पार्टी की सरकार गिर गई और बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता हासिल की. INDIA गठबंधन में अरविंद केजरीवाल की साख को नुकसान पहुंचा है जबकि कांग्रेस की अहमियत बढ़ गई है. इ…और पढ़ें

सब कांग्रेस को INDIA अलायंस से करना चाहते थे बाहर, अब हाशिए पर पहुंचे केजरीवाल

कांग्रेस के कारण दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी हारी. (News18)

हाइलाइट्स

  • दिल्ली में 10 साल बाद AAP सरकार गिरी, BJP ने सत्ता हासिल की.
  • केजरीवाल की साख को नुकसान, कांग्रेस की अहमियत बढ़ी.
  • अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ी, देना होगा कांग्रेस को भाव.

नई दिल्‍ली. राजधानी दिल्‍ली में आम आदमी की पार्टी की सरकार 10 साल की सत्‍ता के बाद ढह गई. शनिवार को आए नतीजों से बीजेपी गदगद है. ऐसा होना लाजमी भी है क्‍योंकि 27 साल लंबे इंतजार के बाद दिल्‍ली में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. राष्‍ट्रीय राजनीति में तेजी से उभर रहे अरविंद केजरीवाल की साख को भी इस हार ने बट्टा लगा दिया है. एक दिन पहले तक दो राज्‍यों में सरकार होने का दम भर रहे अरविंद केजरीवाल के सामने अब चुनौती यह है कि वो कैसे आने वाले वक्‍त में पंजाब की अपनी सरकार को बचाने के लिए काम करेंगे. एक दिन पहले तक इंडिया अलायंस से कांग्रेस को बाहर किए जाने की बात कई राजनीति दलों की तरफ से की जा रही थी. अब नतीजों के बाद कुछ नेताओं को अरविंद केजरीवाल ही अप्रासंगिक नजर आने लगे हैं.

इन चुनावों में कांग्रेस को करीब छह प्रतिशत वोट मिले. 70 में से कुल 14 ऐसी सीटें हैं जहां आम आदमी पार्टी और बीजेपी उम्‍मीदवार के बीच हार-जीत का अंतर पांच हजार से भी कम रहा. आप को इन चुनावों में 22 सीटें मिली. अगर यह 14 सीटें केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को मिलती तो वो आसानी से 36 सीटों के साथ दिल्‍ली में सरकार बना लेते. दिल्‍ली चुनाव प्रचार के दौरान इंडिया गठबंधन के सभी साथियों ने खुलकर अरविंद केजरीवाल की जीत के पक्ष में बयान दिए. सपा सुप्रीमों आखिलेश यादव तो केजरीवाल के साथ दिल्‍ली में एक रोड-शो करते हुए भी नजर आए थे. कई सपा नेताओं की तरफ से कांग्रेस पार्टी को इंडिया गठबंधन में अप्रासंगिक करार दिया गया. यह भी कहा गया कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचाने से ज्‍यादा कुछ नहीं कर रही है.

दिल्‍ली चुनाव ने फुलाई अखिलेश की सोंसें! 
अब दिल्‍ली चुनाव नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन का पूरा गणित ही बदल गया है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि हर किसी को कांग्रेस पार्टी की अहमियत समझ आ गई है. कांग्रेस को अगर कोई साथ लेकर नहीं चलेगा तो ना सिर्फ संबंधित स्‍टेट में वहां के सबसे बड़े विपक्ष दल को नुकसान होगा बल्कि वहां बीजेपी के लिए फिर सरकार बनाना भी बेहद आसान हो जाएगा. समाजवादी पार्टी को पता है कि लोकसभा चुनाव 2024 में उत्‍तर प्रदेश में वो 37 सीट जीत पाई है तो इसका बड़ा श्रेय कांग्रेस के साथ गठबंधन को जाता है. साल 2027 में 10 साल पूरे कर रही योगी सरकार को सत्‍ता से हटाना है तो भी अखिलेश यादव की सपा को कांग्रेस के साथ अलायंस की जरूरत होगी.

ना चाहकर भी कांग्रेस को देना होगा भाव
आपको और हमें याद होगा कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कांग्रेस हर हाल में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन चाहती थी. सपा नेता अखिलेश यादव ने कांग्रेस को केवल 17 सीटें ही लड़ने के लिए दी थी. वो एक तरफ बाकी सीटों पर अपने कैंडिडेट के नाम का ऐलान करते चले गए. कांग्रेस सपा से ज्‍यादा सीटों की मांग कर रही थी लेकिन जब अखिलेश यादव ने एक भी अतिरिक्‍त सीट देने से मना कर दिया तो कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गई. दिल्‍ली चुनाव नतीजों ने ना सिर्फ समाजवादी पार्टी बल्कि बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी और अन्‍य क्षेत्रीय दलों को यह साफ संदेश दिया है कि अगर उन्‍हें इंडिया गठबंधन में साथ लेकर नहीं चला गया तो ज्‍यादा घाटा उनका खुद का ही होगा.

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