दूध के दाम बढ़े, लेकिन डेयरी उत्पादों की आपूर्ति में कमी नहीं : केंद्रीय मंत्री रूपाला
सरकार ने कहा कि हाल के महीनों में दूध की कीमतें बढ़ी हैं लेकिन देश में दूध और अन्य डेयरी उत्पादों की कोई कमी नहीं है. पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार की उपलब्धियों पर मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में इस क्षेत्र के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 6 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ा.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं निश्चित रूप से स्वीकार करूंगा कि दूध की कीमतों में वृद्धि हुई है…सरकार दूध उत्पादन और उपलब्धता बढ़ाकर समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश कर रही है.”
अमूल और मदर डेयरी जैसे प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं ने किसानों से दूध की बढ़ती खरीद लागत का हवाला देते हुए पिछले एक साल में दूध की कीमतों में कई बार बढ़ोतरी की है. मदर डेयरी ने मार्च और दिसंबर 2022 के बीच दूध की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है.
देश में दूध और दुग्ध उत्पादों की कोई कमी नहीं होने की बात पर जोर देते हुए रूपाला ने कहा कि हाल ही में कमी की खबरें आई थीं, लेकिन यह मुद्दा ‘बनाया गया’ था, और जमीनी हकीकत अलग है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा कुल दूध संग्रह 35 प्रतिशत से अधिक नहीं है. इसका मतलब है, हमारे अपने देश में अभी भी बहुत ऐसी आपूर्ति हो रही है, जिसका हमने उपयोग नहीं किया है. हम इसका उपयोग करने के प्रयास कर रहे हैं.”
यह पूछे जाने पर कि क्या आने वाले महीनों में आयात की आवश्यकता है, रूपाला ने कहा, ‘‘उपभोक्ताओं के लिए, दूध और दुग्ध उत्पादों की कमी के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.”
उन्होंने कहा कि दूध की आपूर्ति और स्टॉक में कोई कमी आने की संभावना नहीं है. देश में स्किम्ड मिल्क पाउडर पर्याप्त मात्रा में है और दूध श्रृंखला सुचारू रूप से काम कर रही है.
हालांकि, मंत्री ने दूध की कीमतों में किसी भी कटौती के लिए कोई समयसीमा नहीं दी.
जब मंत्री से चारे की कमी के कारण कीमतों में वृद्धि के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि सरकार चारे की उपलब्धता में सुधार के लिए एक नई योजना के तहत सब्सिडी प्रदान कर रही है. यह किसानों की लागत का एक प्रमुख हिस्सा है.
दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक भारत में दूध का उत्पादन पिछले नौ वर्षों में 8.3 करोड़ टन बढ़कर 22.1 करोड़ टन हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति खपत भी वर्ष 2014 के 303 ग्राम से बढ़कर वर्ष 2022 में 449 ग्राम हो गई है.