देश का इकलौता गांव, जहां हर आदमी है शाकाहारी, शराब को हाथ तक नहीं लगाते, दशकों से चली आ रही परंपरा


कुंदन कुमार/गया: बिहार के गया में एक ऐसा गांव है जहां सभी लोग शाकाहारी हैं. यहां मीट-मछली और शराब का सेवन पूरी तरह प्रतिबंध है. यह गांव जिले के वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र में स्थित है जिसका नाम बिहिआइन है. इस गांव को शाकाहारी गांव भी कहा जाता है और इसके चर्चा पूरे जिले में होती है. सिर्फ पूजा पाठ या धार्मिक महीने ही नहीं बल्कि यहां नॉनवेज या शराब का सेवन न करना कई पीढियां से चलती आ रही है. बताया जाता है कि गांव में ब्रह्म बाबा का मंदिर है और उन्हीं के प्रकोप के कारण आज तक यहां के लोग मीट, मांस मछली या शराब का सेवन नहीं करते.

गया जिले के इस वैष्णवी गांव की चर्चा हर जगह होती है. यहां लगभग 40 घर आबादी है और हर समाज के लोग हैं जिसमें अधिकांश राजपूत समाज से हैं. इस परंपरा का पालन कई पीढी से चलते आ रहा है और आज भी इसका पालन सख्ती से किया जाता है. कोई अगर इसका सेवन करना चाहता है तो उसके साथ या उसके परिवार के साथ अनहोनी हो जाती है, उनका परिवार फल फूल नही पाता और इसी डर से लोग मीट, मछली को हाथ तक नहीं लगाते. इस परंपरा का पालन यहां के लोग गांव में ही नही बल्कि बाहर में भी करते हैं. जहां रहते या काम करते हैं वहां भी इसका पालन कर रहे हैं.

गांव में पूरी मीट-मछली के सेवन पर निषेध
कोई नई नवेली दुल्हन भी यहां आती है तो उसे भी इस परंपरा का पालन करना होता है. शादी से पूर्व ही उसे बता दिया जाता है कि इस गांव में मीट, मांस, मछली का सेवन पूरी तरह निषेध है. अगर कोई व्यक्ति अनजाने में इसका सेवन करता है तो गांव के बाहर नहा धोने के बाद ही गांव में प्रवेश करता है. इसको लेकर गांव में कई कहानी है. ग्रामीणों ने बताया सालों पहले यहां किसी व्यक्ति पर ब्रह्म बाबा सवार हो गये और उन्होने शर्त रखा की गांव में मीट, मछली, मांस, शराब आदि का सेवन नहीं करेंगे तभी वह इस गांव में विराजमान होंगे. उसके बाद सभी गांव वालों ने उनकी बात मान ली और तबसे इसका पालन किया जा रहा है.

पहली फसल को लगता है ब्रह्म बाबा का भोग
एक बार गांव के एक व्यक्ति बकरा काटने का कोशिश किया और हथियार से कई बार सिर काटने की कोशिश कि लेकिन बकरा का एक बाल बांका तक नही हुआ. इसे ब्रह्म के शक्ति और भगवान की इच्छा मानकर लोग मीट, मछली खाना छोड दिए. गांव में स्थित ब्रह्म बाबा कि ख्याति भी दूर दूर तक है यहां लोग शादी विवाह, अन्य मनोकामना मांगने आते हैं. गांव में नई फसल के कटने के बाद पहले ब्रह्म बाबा को भोग लगाया जाता है.

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