देश में कौन सा राज्य ड्रॉपआउट में है नंबर-1, 10वीं-12वीं में फेल छात्र क्यों छोड़ रहे पढ़ाई?



<p style="text-align: justify;">10वीं व 12वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. ऐसे में कई ऐसे राज्य हैं जहां स्कूल की पढ़ाई छोड़ने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि किस राज्य के छात्र सबसे अधिक फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">साल 2023 में क्लास 10वीं और 12वीं के लगभग 65 लाख छात्र बोर्ड परीक्षा में फेल हुए थे. 2024 के बोर्ड परीक्षा परिणामों में भी 55 लाख से अधिक क्लास 10वीं और 12वीं के छात्र फेल हुए थे. गवर्नमेंट इंटरनल असेसमेंट के अनुसार इनमें से एक बड़ी संख्या ने स्कूल सिस्टम से बाहर निकलने का निर्णय लिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">शिक्षा मंत्रालय अब एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जो इस साल बोर्ड परिणामों की घोषणा के बाद शुरू होगा. इस अभियान के तहत, उन छात्रों को वैकल्पिक शिक्षा के अवसरों के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपनी शिक्षा पूरी कर सकें. इस योजना में ओपन स्कूलों के विकल्पों का उपयोग किया जाएगा.</p>
<p style="text-align: justify;">केंद्र सरकार सभी स्कूल प्रमुखों से यह कहेगा कि वे उन छात्रों से संपर्क करें जो कक्षा 10वीं या 12वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो सकते हैं और उन्हें व उनके माता-पिता को शिक्षा जारी रखने के लिए प्रेरित करें. शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकारों को पहले ही एक संदेश भेजा है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) को इन छात्रों और उनके माता-पिता से संपर्क करने के लिए कहा गया है, ताकि उन्हें ओपन स्कूल सिस्टम के विकल्प के बारे में जानकारी दी जा सके. इसके अलावा, राज्य सरकारों से भी ऐसे छात्र वर्ग तक पहुंचने की अपील की जाएगी, ताकि उन्हें ओपन स्कूलों में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया जा सके.</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि NIOS और राज्य मुक्त स्कूलों के विकल्प कई सालों से मौजूद हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल काफी कम हुआ है. दरअसल, ओपन स्कूल सिस्टम के बारे में जागरूकता की कमी है. NIOS के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 55 लाख बोर्ड परीक्षा में असफल छात्रों में से केवल 13 लाख छात्रों ने ही वरिष्ठ माध्यमिक और माध्यमिक स्तर पर दाखिला लिया था, जिससे सिस्टम में बड़ा अंतर नजर आता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इन राज्यों में सबसे अधिक स्कूल छोड़ते हैं बच्चे&nbsp;</strong>&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">आमतौर पर, स्कूल छोड़ने की दर उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर अधिक होती है. यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (U-DISE) की रिपोर्ट भी इसी फैक्ट को प्रेजेंट करती है. इसके आंकड़े बताते हैं कि माध्यमिक स्तर पर 10.9% छात्र स्कूल छोड़ते हैं, जबकि प्राथमिक स्तर पर यह दर 3.7% है.&nbsp;राज्यवार, बिहार में वरिष्ठ स्कूल स्तर पर सबसे अधिक स्कूल छोड़ने की दर है, इसके बाद असम, कर्नाटका, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश का नंबर आता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 ने स्कूल छोड़ने की दर को एक प्राइऑरिटी एरिया के रूप में पहचाना है. नीति में कहा गया है, ‘कक्षा 5 के बाद और विशेष रूप से कक्षा 8 के बाद एक महत्वपूर्ण संख्या में छात्र स्कूल छोड़ देते हैं.’&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>100% ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो का है लक्ष्य&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">NEP के तहत, 2030 तक स्कूल से लेकर माध्यमिक स्तर तक 100% ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (GER) प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए स्कूलों की स्ट्रक्चर को अधिक सरल बनाने और ओपन स्कूल सिस्टम को मजबूत करने की सिफारिश की गई है.</p>
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