देहरादून के दिल पर डाका! घंटाघर से कीमती सामान ले उड़े चोर, स्विट्जरलैंड से मंगाई थीं घड़ियां


देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी अब अपराध नगरी बनती जा रही है. यहां आपकी गाड़ी, आपका घर ही असुरक्षित नहीं है बल्कि अब ऐतिहासिक धरोहर पर भी खतरा है. पुलिस की नाक के नीचे चोर चोरी करके फुर्र हो जाते हैं. ताजा मामला देहरादून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर से जुड़ा है. देहरादून स्मार्ट सिटी में कैमरों के बीच और पुलिस पिकेट के नजदीक होने के बावजूद भी चोर घड़ियों से जुड़ा सामान चोरी करके निकल गया. हमेशा टिक-टिक करने वाली घंटाघर की घड़ियां थम गईं, तो लोग हैरान हुए. नगर निगम के आला अधिकारी घंटाघर पहुंचे और छानबीन शुरू की. इसके बाद निगम ने दून पुलिस में तहरीर दी, जिसके बाद पुलिस जांच में जुट गई है.

सीओ सिटी देहरादून नीरज सेमवाल ने लोकल 18 को बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि घंटाघर की घड़ियां रुक गई हैं और कोई चोरी हुई है, तो तुरंत पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन करने लगी. इसकी जांच के लिए एक संयुक्त टीम का गठन किया गया है, जिसमें पुलिस, एफएसएल और नगर निगम की टीम शामिल है. देहरादून के नगर आयुक्त गौरव कुमार ने इस बारे में कहा कि निगम को कुछ दिनों पहले घंटाघर की घड़ियों की सुई बंद होने की खबर मिली थी, तो उन्होंने अधिकारियों को घड़ी जांचने के निर्देश दिए. वहां जाकर पता चला कि घंटाघर के चारों ओर लगाए गए फाउंटेन में लगाई गई कीमती नोजल, पैनल और घंटाघर की लाइटों की केबल समेत कुछ अन्य सामान चोरी हो गया है.

देहरादून की पहचान घंटाघर
देहरादून के पलटन बाजार में रहने वाले अजय गुप्ता ने कहा कि 1947 में उनके पिता देहरादून आकर बस गए थे. वह घंटाघर बचपन से देख रहे हैं. वह यहां खेलने के लिए भी आते थे. घंटाघर बहुत बदल गया है. उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना था कि यहां घंटाघर में इस्तेमाल होने वाली मशीनें (घड़ियां) विदेशों से आई हैं. उन्होंने कहा कि यह देहरादून की पहचान है और इसकी सुरक्षा निगम की प्राथमिकता होनी चाहिए. घंटाघर को फिर से जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए.

एशिया का सबसे अनोखा ‘घंटाघर’
देहरादून में मौजूद घंटाघर एशिया का सबसे अनोखा घंटाघर है क्योंकि और जगह 2 या 4 घड़ियों का घंटाघर है लेकिन इस घंटाघर में 6 घड़ियां लगी हुई हैं. इसका पुराना नाम बलवीर क्लॉक टावर है क्योंकि इसे आनंद सिंह ने अपने पिता बलवीर सिंह की याद में बनवाया था. साल 1948 में इसका शिलान्यास करने के लिए सरोजनी नायडू आई थीं जबकि साल 1953 में तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसका उद्घाटन किया था. षट्कोणीय आकर के बने घंटाघर में हर दीवार पर प्रवेश द्वार है. यह ईंट और पत्थरों से बना हुआ है, जिसमें ऊपर चढ़ने के लिए गोल घुमावदार सीढ़ियां हैं. बताया जाता है कि इसके लिए स्विट्जरलैंड से भारी भरकम घड़ियां मंगवाई गई थीं लेकिन बाद में इसमें इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां लगवाई गईं.

Tags: Dehradun news, Local18, Uttarakhand news, Uttarakhand Police



Source link

x