देहरादून के युवाओं ने लिया पुरानी नदियों को बचाने का संकल्प, जानिए कैसे कर रहे हैं काम



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हिना आजमी/ देहरादून. आज देहरादून में घनी बसाहट के साथ-साथ विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर हमें दिखाई देते हैं, लेकिन पहले ऐसा नहीं था. यहां कई नदियां, नहरें हुआ करती थीं, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ती आबादी के कारण ये खत्म होती चली गई. देहरादून की पहचान मानी जाने वाली रिस्पना नदी और बिंदाल नदी भी अब नाले में तब्दील हो चुकी हैं. इनको बचाने के लिए देहरादून के युवा काम कर रहे हैं  और लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं, ताकि रिस्पना (ऋषिपरना) और बिंदाल नदी को  पुनर्जीवित किया जा सके.

MAD संस्था से जुड़े युवा लगातार इन नदियों को साफ करने के लिए अभियान चला रहे हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक से लेकर पोस्टर का सहारा ले रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि देहरादून की पुरानी नदियों को बचाने के लिए सिर्फ कॉलेज के छात्र छात्राएं आगे नहीं आए हैं बल्कि 10वीं-12वीं के स्कूली छात्र भी इस अभियान में शामिल हो रहे हैं.

शहर में आकर लोग नदियों को कर देते हैं गंदा 

संस्था की वॉलिंटियर शिवानी काला ने बताया कि वह 12वीं कक्षा में है और उन्हें बहुत बुरा लगता है जब वह लोगों से रिस्पना और बिंदाल नदी के बारे में बात करती हूं क्योंकि कई लोगों को पता ही नहीं है कि बिंदाल और रिस्पना नदी देहरादून की पुरानी नदियां हैं, शिवानी बताती हैं कि रिस्पना नदी वुड स्टॉक, मालसी फॉल और शिखर फॉल से आते हुए दून की जनसंख्या वाले इलाकों में पहुंचती है. उनका कहना है कि वह शुरुआत में तो साफ पानी के साथ बहती आती है, लेकिन शहर में आकर लोग इन्हें गंदा कर देते हैं.

4 जून को आयोजित होगी मैराथन

दूसरी वोलेंटियर स्नेहा ने बताया कि हर उम्र के लोगों को एक जिम्मेदार नागरिक बन नदियों को बचाना चाहिए. जिस तरह से अब नदियां सूखती जा रही हैं, तो आने वाली पीढ़ी को कुछ नहीं मिल पाएगा. पर्यावरण को स्वच्छ और साफ रखने के लिए जरूरी है कि हम उसके अनुकूल ही अपने सभी काम करें.
कई वर्षों से पर्यावरण को बचाने के लिए काम करने वाले यश सिंघल का कहना है कि देहरादून के युवाओं को नदियों के बचाव के लिए आगे आना जरूरी है. पर्यावरण को बचाने के लिए नदियां जरूरी है नदिया ही नहीं रहेगी, तो पेड़ पौधों को कौन सींचेगा?  हमारी संस्था समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती रहती है और 4 जून को हम एक मैराथन के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहते हैं कि वह अपनी नदियों को कैसे बचाएं?

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