धरती के अंदर कितना लीटर पानी पीने लायक, वैज्ञानिकों ने बताया सच
<p>बचपन से हमने पढ़ा और सुना है कि धरती के लगभग 70 फीसदी ह‍िस्‍से पर पानी ही पानी है. लेकिन इनमें से अध‍िकांश खारा है, जो पीने लायक नहीं है. हम सभी जमीन के अंदर से पानी निकालकर पीते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती के नीचे कितना पानी पीने लायक है और कितना पानी अभी बचा है. दरअसल वैज्ञानिकों ने धरती के नीचे बचे पानी के बारे में अपने रिसर्च में विस्तार से बताया है. जानिए वैज्ञानिकों ने क्या बताया.</p>
<p><strong>वैज्ञानिकों की रिपोर्ट</strong></p>
<p>लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक सस्केचेवान विश्वविद्यालय के वैज्ञान‍िकों ने 2021 में एक रिसर्च की थी. इस रिसर्च में वह ये जानना चाह रहे थे कि धरती की परत के नीचे मिट्टी या चट्टानों में क‍ितना पानी छिपा हुआ है. इसमें ये पता चला कि महासागर ग्रह पर पानी का सबसे बड़ा भंडार बने हुए हैं, जिनमें लगभग 312 मिलियन क्यूबिक मील पानी भरा हुआ है. लेकिन धरती के अंदर भी पानी कम नहीं है. पृथ्वी की कोर में लगभग 43.9 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर पानी है, जो धरती पर मौजूद कुल पानी का लगभग एक चौथाई है. वहीं इससे काफी कम पानी (लगभग 6.5 मिलियन क्यूबिक मील) अंटार्कटिका की बर्फ में छिपा हुआ है. लेकिन खास बात ये है कि धरती के नीचे मौजूद ज्‍यादातर पानी पीने योग्‍य है.</p>
<p><strong>धरती के नीचे कितना पानी मौजूद?</strong></p>
<p>जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में पब्‍ल‍िश रिपोर्ट में बताया गया है कि कि जमीन से ज‍िस पानी को हम खींचते हैं, वह सद‍ियों से धरती के अंदर मौजूद है. हम इससे बहुत सारा पानी हर साल न‍िकालते हैं, लेकिन बार‍िश और अन्‍य स्रोत से यह दोबारा रिचार्ज हो जाता है. नेचर जियोसाइंस जर्नल में 2015 में एक रिपोर्ट पब्‍ल‍िश हुई थी. उसमें अनुमान लगाया गया था क‍ि पृथ्वी की परत के ऊपरी 2 किलोमीटर में 22.6 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर पानी भरा हुआ है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद जो रिपोर्ट लाया है, उसके मुताबिक यह 23.6 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर हो गया है.</p>
<p><strong>धरती के नीचे पीने लायक पानी</strong> </p>
<p>रिसर्च के लेखक ग्रांट फर्ग्यूसन ने लाइव साइंस को बताया क‍ि यह अध‍िकतर ताजा पानी है. इसका उपयोग पीने और सिंचाई के ल‍िए किया जा सकता है. वहीं इसके विपरीत जो गहरा भूजल है, वह खारा होता है. कुछ स्थानों पर तो यह काफी नमकीन है. लेकिन उन्होंने बताया कि यह उतना खराब नहीं, ज‍ितना महासागरों का पानी होता है. </p>
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