‘धरती गोल है…’ जब अजहरुद्दीन के पीछे भागे RBI गवर्नर, कुछ साल बाद हुआ ठीक उल्टा
1990 के दशक में मोहम्मद अजहरूद्दीन नेशनल सेलिब्रिटी हुआ करते थे. भारतीय क्रिकेट टीम के धुआंधार बल्लेबाज, अजहरुद्दीन जहां जाते, उन्हें हजारों की भीड़ घेर लेती. भारतीय क्रिकेटर के प्रशंसकों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव और उनका परिवार भी शामिल था. पेंगुइन पब्लिकेशन से प्रकाशित अपनी ताजा किताब ‘जस्ट अ मर्सनेरी: नोट्स फ्रॉम माई लाइफ एंड करियर’ (Just a Mercenary?: Notes from My Life and Career) में सुब्बाराव ने अजहरुद्दीन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा साझा किया है.
सुब्बाराव लिखते हैं कि मेरे दोनों बेटे, मलिक और राघव जब युवावस्था में थे तो अजहरुद्दीन के जबरदस्त फैन थे. हम लोग हर रात डिनर टेबल पर उन्हीं की चर्चा किया करते थे. शायद उनका कोई मैच ऐसा हो, जो हमने मिस किया. एक दिन मैं अपनी पत्नी उर्मिला को रिसीव करने बेगमपेट एयरपोर्ट गया हुआ था. दोनों बच्चे भी मेरे साथ थे. हम लोग वेटिंग एरिया में बैठकर इंतजार करने लगे. सुबह-सुबह का वक्त था और एयरपोर्ट पर ज्यादा भीड़ नहीं थी.
अजहरुद्दीन के पीछे भागे सुब्बाराव के बेटे
अचानक मेरी निगाह अजहरुद्दीन पर पड़ी, जो एयरपोर्ट के अंदर दाखिल हो रहे थे. उनके साथ बस चार-पांच लोग थे. सुब्बाराव लिखते हैं कि मेरे दोनों बच्चे अजहरुद्दीन को देखकर खुशी से चहक पड़े और जिद करते हुए मुझसे कहने लगे कि पापा हमें उनसे मिलवा दीजिए. उन दिनों मैं मिड लेवल का एक ऐसा ब्यूरोक्रेट था, जिसकी कोई खास पहचान नहीं थी. थोड़ा शर्मीला भी था. मुझे लग रहा था कि अजहरुद्दीन को इस तरीके से एयरपोर्ट के अंदर अप्रोच करना ठीक नहीं होगा और वो खुद इसे पसंद नहीं करेंगे.
हाथ मिला बढ़ गए क्रिकेटर
डी. सुब्बाराव लिखते हैं कि जब तक मैं कुछ कह पाता, मेरे दोनों बच्चे भागते हुए अजहरुद्दीन के करीब पहुंच गए. मेरे पास कोई विकल्प नहीं था और मैं भी उनके पीछे भागा. मैंने कहा- मिस्टर अजहरुद्दीन, मेरे बच्चे आपसे हाथ मिलाना चाहते हैं… अजहरुद्दीन ने अनमने मन से मेरे बेटों की तरफ हाथ बढ़ाया और चंद सेकंड में आगे बढ़ गए. मेरे दोनों बेटों के लिए यह बहुत खुशी और यादगार पल था. अगले कई दिन स्कूल में बस इसी की चर्चा करते रहे.
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वक्त ले आया फिर उसी मोड़ पर
साल 2000 में अजहरुद्दीन का नाम मैच फिक्सिंग में आया और उन पर बैन लग गया. इसके बाद उनके प्रशंसकों की तादाद भी सिमट गई. सुब्बाराव लिखते हैं कि कुछ साल बाद अजहरुद्दीन राजनीति में आ गए और मैं रिजर्व बैंक का गवर्नर बनकर दिल्ली आ गया. साल 2012 में जब मैं गवर्नर था, एक शाम मुंबई से दिल्ली लौट रहा था. एयरपोर्ट पर जहाज तक पहुंचने के लिए बस में बैठा, जो खचाखच भरी थी. मैं चुपचाप एक कोने में खड़ा हो गया. अचानक सूट-बूट पहने एक मिडिल एज आदमी मेरी तरफ बढ़ा और कहा- ‘सर, मेरा नाम अजहरुद्दीन है और मैं भी हैदराबाद का ही रहने वाला हूं….’
‘धरती वाकई गोल है’
सुब्बाराव लिखते हैं, ‘मैंने जवाब दिया, आपको कौन नहीं जानता है!’ अजहरुद्दीन ने कहा- सर, मेरा बेटा आपसे हाथ मिलाना चाहता है और उसे आगे कर दिया. मैंने पूरे जोश से उनके बेटे से मिला. उस दिन हमारी संक्षिप्त मुलाकात हुई और थोड़ी देर बाद हमारे रास्ते अलग हो गए, लेकिन मैं पूरे रास्ते सोचता रहा कि धरती वाकई गोल है. कुछ साल पहले मेरे बेटे अजहरुद्दीन से हाथ मिलाने के लिए भागे थे, और अब अजहरुद्दीन का बेटा मुझसे मिलना चाहता था.
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FIRST PUBLISHED : May 4, 2024, 12:11 IST