धौलपुर के प्राचीन हनुमान मंदिर की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विशेषताएं
धौलपुर: शहर से लगभग 6 किमी दूर स्थित पुरानी छावनी में स्थित हनुमान जी का भव्य मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण करीब 300 साल पहले राजा कीरत सिंह ने करवाया था. यहां स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा अद्वितीय है.
हनुमान जी की अद्भुत प्रतिमा
इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति करीब 7 फुट ऊंची है और इसका रंग गेहुंआ है. यह प्रतिमा एक हृष्ट-पुष्ट मल्ल योद्धा के समान दिखती है, जिसमें मानव शरीर की संरचना और धमनियों का रक्त प्रवाह स्पष्ट झलकता है. प्रतिमा के घुटने के नीचे एक तीर का निशान है, जिसे पौराणिक मान्यता के अनुसार भरत जी ने संजीवनी लाते समय हनुमान जी को मायावी असुर समझकर तीर चलाया था.
मूर्ति की एक खास विशेषता यह है कि इसे आम हनुमान मूर्तियों की तरह सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता. इसे केवल वस्त्रों से सजाया जाता है, जो मौसम के अनुसार बदले जाते हैं.
मंदिर का निर्माण और पौराणिक कथा
राजा कीरत सिंह ने 22 नवंबर 1805 को धौलपुर की गद्दी संभाली. पुत्र शोक में व्यथित राजा को एक रात स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन हुए. हनुमान जी ने उन्हें निर्देश दिया कि उनका स्वरूप किले से 8 मील पश्चिम की ओर मिट्टी में दबा हुआ है. खुदाई करवाने पर यह अद्भुत प्रतिमा प्राप्त हुई.
स्वप्न निर्देश के अनुसार, राजा ने इस स्थान पर मंदिर की स्थापना की और मंदिर के निकट महल और जल विहार के लिए पक्की नहर का निर्माण कराया. इस स्थान को कीरतसिंह नगर का नाम देकर राजधानी घोषित किया गया.
हनुमान मंदिर का चमत्कार और उत्सव
स्थापना के बाद से यह मंदिर चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हो गया. यहां कीर्तिसिंह को 17 वर्षों बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिससे इस स्थल की धार्मिक मान्यता और बढ़ गई. हर वर्ष हनुमान जयंती पर यहां तीन दिवसीय भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस दौरान धौलपुर में स्थानीय अवकाश भी घोषित रहता है.
राम-हनुमान की संगति
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जहां हनुमान जी होते हैं, वहां श्रीराम स्वतः मौजूद रहते हैं. इस मंदिर में हनुमान जी के अद्भुत विग्रह के सामने श्रीराम का अष्टधातु से निर्मित विग्रह स्थापित है, जो इस मान्यता को मूर्त रूप देता है.
मंदिर की देखरेख में आठ पीढ़ियों से लगे सीताराम शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि यहां हर भक्त को हनुमान जी की उपस्थिति का अहसास होता है. यह प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और कला का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करता है.
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FIRST PUBLISHED : November 19, 2024, 01:13 IST