नदी में मिट्टी भर बना डाली पॉर्किंग, दोपहर को हुई हल्की बारिश, शाम को गाड़ियों को हो गया ऐसा हाल


कहते हैं ना कि प्रकृति से ज्यादा ताकतवर कोई नहीं है. इंसान हमेशा से प्रकृति को कमजोर समझ एक्सप्लॉइट करता है. प्रकृति भी शांत रहकर अपनी परीक्षा देती है. लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है तो अचानक ही इस शांत रहने वाले नेचर का रौद्र रुप देखने को मिलता है. इंसानों को ऐसा लगता है कि वो अपना मतलब निकाल कर प्रकृति को ठेंगा दिखा सकते हैं. लेकिन सौ चोट लगने पर जब नेचर का एक झटका मिलता है तो इंसान ठगा सा खड़ा रह जाता है.

उत्तराखंड की खूबसूरती किसी से छिपी नहीं है. ऐसा लगता है जैसे नेचर से यहां सारी खूबसूरती उढ़ेल दी हो. लेकिन पिछले कुछ समय से इंसानों ने पहाड़ों का ऐसा हाल कर दिया है कि अब वहां स्थिति हाथ से निकलने लगी है. लोग अब नेचर को हद से ज्यादा बिगाड़ रहे हैं. पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. इन्हें काटकर सड़कें बनाई जा रही है. ऐसे में समय-समय पर प्रकृति अपने साथ हो रहे खिलवाड़ का बदला लेती नजर आ जाती है. खारे पानी के स्रोत के पास बनाए गए पार्किंग का पहली बारिश में जो हाल हुआ, उसने लोगों को एक बारे फिर प्रकृति की ताकत का अहसास दिला दिया.

सुबह से शाम में हुआ ऐसा हाल
एक खारे पानी के स्रोत के पास ही पार्किंग बना दिया गया था. इंसानों ने जल के ऊपर ही मिट्टी भरकर वहां पार्किंग बना डाली थी. इससे मिलने वाले पैसे से अपना मुनाफ़ा कमाया जा रहा था. लेकिन इस मॉनसून की जब पहली बारिश हुई, तो प्रकृति ने दिखा दिया कि क्यों वो सबसे ऊपर है? थोड़ी सी बारिश में ही पार्किंग की मिट्टी बह गई और अपने साथ लोगों की महंगी-महंगी गाड़ियां लेकर चली गई.





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