नहीं खत्म हो रही ड्रैगन की सनक, चीन दोहरा रहा एक ही गलती, लेकिन इस बार सीना तानकर खड़ा हो गया जापान


नई दिल्ली: चीन अपने विस्तारवादी नीति से पूरे एशिया में दबदबा बनाना चाहता है. लाल सागर से लेकर हिंद महासागर तक वह अपना वर्चस्व चाहता है. लेकिन भारत के साथ कई देश समय-समय पर उसके मंसूबों पर पानी फेर देते हैं. हालांकि इसके बाद भी चीन शांत नहीं बैठता है और फिर नई हरकत कर अपने आस-पास के देशों को परेशान करता है. लेकिन जापान ने चीन से खुला पंगा ले लिया है. दरअसल शनिवार को चीन के एक नौसैनिक सर्वेक्षण पोत ने जापानी जलक्षेत्र में प्रवेश किया. यह बात जापान को रास नहीं आई और उसने इस पर आपत्ति जता दी है. हैरान करने वाली बात यह है कि यह एक सप्ताह से भी कम समय में चीनी सेना द्वारा उसके क्षेत्र में दूसरा घुसपैठ है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बता दें कि हाल के वर्षों में जापान के निकट और ताइवान के आसपास चीनी सैन्य गतिविधि में वृद्धि ने टोक्यो में चिंताएं बढ़ा दी हैं. जापान ने रक्षा निर्माण के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसका उद्देश्य बीजिंग को क्षेत्र में अपने क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के लिए सैन्य बल का उपयोग करने से रोकना है.

पढ़ें- यूक्रेन के हौसले बुलंद, रूस में और भीतर तक हमले को तैयार, जेलेंस्की मांग रहे अमेरिका से मंजूरी

जापान ने गंभीर विरोध दर्ज कराया
देश के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि जहाज को जापान के दक्षिण-पश्चिम में कागोशिमा प्रान्त के तट पर स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 6 बजे (शुक्रवार को 2100 GMT) देखा गया, तथा दो घंटे के भीतर ही उसे वहां से रवाना कर दिया गया. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टोक्यो ने चीनी दूतावास के अधिकारी के समक्ष इस घटना पर अपनी “गंभीर चिंता और विरोध” दर्ज कराया है. इसमें सोमवार को चीनी सैन्य विमान द्वारा पहली बार हवाई क्षेत्र में घुसपैठ का भी उल्लेख किया गया.

टोक्यो ने इस सप्ताह की शुरुआत में चीनी राजनयिकों से कहा था कि सोमवार को उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन “पूरी तरह से अस्वीकार्य” है. राष्ट्रीय प्रसारक NHK के अनुसार, शनिवार की घटना पिछले वर्ष में दसवीं बार थी जब एक चीनी नौसेना सर्वेक्षण जहाज जापान के क्षेत्रीय जल से गुजरा है, और यदि पनडुब्बियों और अन्य खुफिया जानकारी जुटाने वाले जहाजों को शामिल किया जाए तो यह 13वीं बार है.

समंदर में दबदबा चाहता है चीन
गौरतलब है कि चीन समंदर में अपना दबदबा चाहता है. लाल सागर में चीन की रणनीतिक रुचि दो गुना है – भू-आर्थिक और भू-राजनीतिक. भू-आर्थिक मोर्चे पर, चीन स्थिर समुद्री व्यापार मार्गों में रुचि रखता है. इसमें मिडिल ईस्ट और भूमध्य सागर से पूर्व की ओर चीन की ओर ऊर्जा प्रवाह और यूरोप में चीनी आयात और निर्यात का पश्चिम की ओर प्रवाह शामिल है. वहीं हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) चीन की समुद्री रेशम मार्ग पहल में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. चीन के ऊर्जा आयात का 80% हिस्सा IOR से आता है और यह चीन की व्यापारिक गतिविधियों के लिए आवश्यक है, जिससे यह रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण भूगोल बन गया है.

Tags: China, Japan, World news



Source link

x