नहीं रहे वैदिक गणित के प्रकांड विद्वान प्रो. राधा चरण गुप्त, BU में शोक की लहर


झांसी. झांसी में जन्मे वैदिक गणित के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ डॉ. राधाचरण गुप्ता का लंबी बीमारी के बाद लगभग 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह अपने पीछे वैदिक गणित के इतिहास की एक लंबी शोध संकलन की श्रृंख्ला को युवा पीढ़ी को सौंपकर विदा हो गए. झांसी के इतिहास की अनेक गौरवशाली परंपराओं की एक और कड़ी के रूप में भारत में गणित का नोबेल पुरुस्कार माना जाने वाले ‘कैनेथ ओ मे’ पुरुस्कार से सम्मानित डॉ. राधाचरण सेवानिवृत्ति के बाद झांसी के सीपरी बाजार क्षेत्र रसबहार कॉलोनी में लंबे समय से निवास कर रहे थे. भारत सरकार ने साल 2023 उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था.

बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय समेत पूरी झांसी ने उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया. कुलपति प्रो. मुकेश कुमार पाण्डेय ने अपने शोक संदेश में कहा है कि डॉ. राधाचरण एक महान गणितज्ञ थे जिन्होंने अपने सतत् शोध कार्यों से वैदिक गणित के इतिहास को समृद्ध बनाया है. बी.यू. में उनके नाम से एक शोध पीठ की स्थापना की गई है जहां उनके कार्यों एवं वैदिक गणित में दिये गये योगदान को जीवित रखा जाएगा. गणित विभाग के प्रो. अवनीश कुमार ने बताया कि गणित क्षेत्र को बहुत नुकसान हुआ है.

वैदिक गणित के क्षेत्र में दिया महत्वपूर्ण योगदान
डॉ गुप्ता ने अपना सम्पूर्ण जीवन वैदिक गणित के शोधपत्रों के लेखन व उसे नये आयामों तक पहुंचाने में लगा दिया. उन्हें 1991 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में फैलोशिप मिली तथा 1994 में वे भारत के गणित शिक्षक संगठन के अध्यक्ष चुने गये. 2009 में उन्हें गणित के इतिहास पर शोधपूर्ण कार्य करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय आयोग द्वारा भारत में गणित का नोबेल पुरुस्कार माना जाने वाला ‘कैनेथ ओ मे’ पुरुस्कार से नवाजा गया. आई.आई.टी. बॉम्बे ने 2015 में डॉ राधाचरण गुप्ता के वैदिक गणित के इतिहास से सम्बन्धित लेखों पर आधारित विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘गणितानन्द’ (स्प्रिंगर) प्रकाशित की. एन.सी.ई.आर.टी. दिल्ली ने प्रोफेसर गुप्ता की दो पुस्तकें प्राचीन भारतीय गणित व मध्यकालीन भारतीय गणित की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक झलकियाँ प्रकाशित की.

FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 19:34 IST



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