नींबू के पेड़ों के लिए साइट्रस कैंकर है एक गंभीर बीमारी, वैज्ञानिक से जाने कैसे करें इसका उपचार


अमित कुमार/ समस्तीपुर: साइट्रस कैंकर नींबू के पेड़ों के लिए एक गंभीर रोग है जो फलों, पत्तियों, टहनियों और शाखाओं को प्रभावित करता है. इसका प्रबंधन और उन्मूलन करने के लिए बिहार में नींबू के किसान वैज्ञानिक सिफारिशों का पालन कर सकते हैं. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के वैज्ञानिक डा संजय कुमार सिंह के अनुसार, नींबू की विशेष प्रजातियां, जैसे कि एसिड लाइम, इस रोग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं. इस रोग से प्रभावित पौधों में उपज का नुकसान किस्म के आधार पर 5 से 35 प्रतिशत तक हो सकता है.

बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 14 दिनों में दिखते हैं इस बीमारी के लक्षण
साइट्रस कैंकर के लक्षण आमतौर पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 14 दिनों के भीतर प्रकट होते हैं. यह जीवाणु पुराने घावों और पौधों की सतहों पर महीनों तक जीवित रह सकते हैं. संक्रमित स्थान और घावों से बैक्टीरिया कोशिकाएं निकलकर हवा और बारिश के माध्यम से फैलती हैं, जिससे अन्य पौधों को भी संक्रमण हो जाता है. यह रोग उच्च वर्षा और उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक फैलता है, और नींबू की सभी प्रजातियां साइट्रस कैंकर के लिए अत्यधिक संवेदनशील होती हैं.

इस प्रकार करें सिट्रस कैंकर रोग का प्रबंधन
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, नींबू उत्पादक किसानों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
1. विरोधी उपाय:रोगग्रस्त और गिरे हुए पत्तों व टहनियों को इकट्ठा करके जला दें.
2. नर्सरी चयन:नए बागों के लिए रोग मुक्त नर्सरी से पौधे खरीदें.
3. पौधों की देखभाल:नए बागों के रोपण से पहले पौधों को ब्लाइटॉक्स 50 (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (1 ग्राम प्रति 3 लीटर पानी) के घोल से छिड़काव करें.
4. छंटाई:पुराने बागों में मानसून की शुरुआत से पहले प्रभावित पौधों के हिस्सों की छंटाई करें.
5. नियमित छिड़काव:मौसम की स्थिति के आधार पर समय-समय पर ब्लाइटॉक्स 50 और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का छिड़काव करें.
6. फूल आने के बाद:नींबू में फूल आने के तुरंत बाद ब्लाइटॉक्स 50 और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का छिड़काव करना न भूलें.

नींबू में रोग के लक्षण
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, नींबू की पत्तियों पर रोग के पहले लक्षण छोटे, पानीदार, पारभासी पीले धब्बे होते हैं. जैसे-जैसे धब्बे परिपक्व होते हैं, ये सफेद या भूरे रंग के हो जाते हैं और अंततः केंद्र में टूटकर खुरदुरी, सख्त, कॉर्क जैसी और गड्डेदार बन जाते हैं. यह रोग साइट्रस कैंकर कहलाता है और इसे जीवाणु ‘Xanthomonas axonopodis’ के कारण होता है. जबकि यह जीवाणु मानवों के लिए हानिकारक नहीं है, यह नींबू के पेड़ों की जीवन शक्ति को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. कैंकर से संक्रमित फल भले ही दागदार दिखता है, लेकिन यह खाने के लिए सुरक्षित है. हालांकि, दागदार नींबू फल बाजार में ताजे फल के रूप में बिक्री के लायक नहीं रहता, जिससे किसानों को नींबू की कीमत कम मिलती है.

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