नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा भारत का पहला नेट-जीरो उत्सर्जन हवाई अड्डा, टाटा पावर के साथ 550 करोड़ का समझौता


नई दिल्ली. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NIA) ने खुद को भारत का पहला नेट-जीरो उत्सर्जन वाला हवाई अड्डा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. हवाई अड्डा अपने कुल ऊर्जा जरूरतों का कम से कम 50% हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. इसके लिए NIA ने टाटा पावर के साथ 550 करोड़ रुपये का समझौता किया है, जिसमें ऑन-साइट सोलर प्लांट और पवन ऊर्जा का निर्माण शामिल है.

समझौते के अनुसार, टाटा पावर की सहयोगी कंपनी टाटा पावर ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड (TPTCL) हवाई अड्डे को 10.8 मेगावाट पवन ऊर्जा की आपूर्ति करेगी, जबकि टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (TPREL) हवाई अड्डे के लिए 13 मेगावाट का ऑन-साइट सोलर पावर प्लांट विकसित करेगी. इस सोलर प्लांट का संचालन और रखरखाव भी TPREL ही करेगी.

ऊर्जा जरूरतों के लिए दीर्घकालिक समाधान
टाटा पावर अगले 25 वर्षों तक हवाई अड्डे के ऊर्जा बुनियादी ढांचे का विकास और देखरेख करेगी. इसमें आवश्यक विद्युत संरचना और ऑपरेशन व मेंटेनेंस (O&M) सेवाएं शामिल हैं, जिससे NIA की स्मार्ट एनर्जी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा.

नोएडा एयरपोर्ट के सीईओ क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने कहा, “अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का आधे से अधिक हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त कर हम एक सतत भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. यह समझौता हमारे पर्यावरण-सचेत संचालन के दृष्टिकोण को दर्शाता है.”

हरित भविष्य की दिशा में एक कदम
टाटा पावर के सीईओ और एमडी प्रवीर सिन्हा ने कहा कि यह “सहयोग नेट-जीरो हवाई अड्डों के विकास में योगदान देगा और देश में हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.”

गौरतलब है कि टाटा पावर फिलहाल 6,150 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन कर रही है और कंपनी ने 2045 से पहले कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य तय किया है. नोएडा एयरपोर्ट का पहला चरण अगले साल अप्रैल तक शुरू होने की उम्मीद है और यह हर साल लगभग 1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा.

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