न्यूरोमॉनिटरिंग की प्रगति : रोगी की सुरक्षा में सुधार के लिए डॉ. निमेशा चेरुकु के योगदान
न्यूरोफिज़ियोलॉजी में उनके द्वारा दिए गए परिवर्तनकारी योगदान, लेटरल लम्बर फ्यूज़न सर्जरी के लिए प्रोटोकॉल के विस्तार से लेकर नए क्लिनीशंस के लिए संपूर्ण प्रशिक्षण व्यवस्था विकसित करने तक, न्यूरोमॉनिटरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति के लिए बेहतरीन भविष्य की उम्मीद देते हैं.
न्यूरोमॉनिटरिंग आधुनिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में विकसित हुआ है, जिसने सर्जिकल तरीकों में क्रांति ला दी है और रोगी की सुरक्षा में काफी सुधार किया है. डॉ. निमेशा चेरुकु, न्यूरोमॉनिटरिंग की एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं, वह श्री रामचन्द्र मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट और डलास में टेक्सास विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी हैं और एडवांस्ड न्यूरोसोल्यूशंस में काम करते हुए और उन्होंने चिकित्सा के इस विशेष क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है. लेटरल लम्बर इंटरबॉडी फ्यूजन सर्जरी के लिए न्यूरोमॉनिटरिंग तकनीक को व्यापक बनाने पर उनका शोध हाल ही में दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में स्पाइन और स्पाइनल डिसऑर्डर के लिए साइंटेक्स ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया था. डॉ. चेरुकु महत्वपूर्ण अनुसंधान, नई पद्धतियों और रोगी की देखभाल में सुधार के प्रति समर्पण के माध्यम से न्यूरोमॉनिटरिंग के क्षेत्र में एक प्रेरणा रही हैं.
न्यूरोमॉनिटरिंग क्या है: न्यूरोमॉनिटरिंग सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान वास्तविक समय में तंत्रिका तंत्र का मूल्यांकन और सुरक्षा करना है. न्यूरोमॉनिटरिंग तकनीक, सर्जनों को इलेक्ट्रिकल गतिविधि और तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली की निगरानी करके तंत्रिकाओं को हो सकने वाले नुकसानों के बचाव और रोकथाम में सक्षम बनाती है, जिसके कारण रोगियों को बेहतर परिणाम मिलते हैं. इस क्षेत्र में इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG), सोमैटोसेंसरी इवोक्ड पोटेंशिअल (SSEPs), मोटर इवोक्ड पोटेंशिअल (MEPs), और अन्य नर्व इंटीग्रिटी मॉनिटरिंग (NIM) तौर-तरीके शामिल हैं.
आधुनिकतम तकनीकों और नए दृष्टिकोण के मेल से, डॉ. चेरुकु ने इंट्राऑपरेटिव नर्व मॉनिटरिंग की सीमाओं का विस्तार लेटरल लम्बर इंटरबॉडी फ्यूज़न (LLIF) और स्पाइनल कॉर्ड स्टिमुलेटर (SCS) इम्प्लांट की प्रक्रियाओं का किया है. ऑपरेशन के बाद आने वाली गंभीर समस्याओं, जैसे जांघ की कमजोरी, महसूस करने या चलने में असमर्थता, और पैरालिसिस, इन प्रक्रियाओं के दौरान पेरोनाल नर्व और मोटर पाथवेके क्षतिग्रस्त होने और इन क्षतियों का पता लगाने के लिए कोई पर्याप्त निगरानी नहीं थी. डॉ. चेरुकु ने जोखिम वाली इन तंत्रिकाओं की निगरानी को शामिल करने के लिए प्रोटोकॉल का विस्तार करके इन तेजी से विकसित होने वाली प्रक्रियाओं के लिए न्यूरोमॉनिटरिंग की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार किया है. उन्होंने न्यूरोमॉनिटरिंग तकनीकों और उनके अनुप्रयोगों की समझ को आगे बढ़ाते हुए, चिकित्सा समुदाय के साथ महत्वपूर्ण विचारों, खोजों और सफलताओं को साझा किया है.
न्यूरोमॉनिटरिंग के क्षेत्र में, डॉ. चेरुकु रोगी की सुरक्षा के लिए एक मुखर पक्षधर रही हैं. उन्होंने शैक्षिक पहलों, सम्मेलन प्रस्तुतियों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञों के साथ सहयोग के माध्यम से सर्जरी के दौरान तंत्रिका सुरक्षा की आवश्यकता और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने में न्यूरोमॉनिटरिंग की भूमिका के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दिया है.
उन्होंने भावी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को इस विशेष क्षेत्र में भविष्य तलाशने और अपने कौशल, ज्ञान और अनुभव को साझा करके इसके निरंतर विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है.
रोगी की देखभाल पर प्रभाव: डॉ. निमेशा चेरुकु ने न्यूरोमॉनिटरिंग पर शोध करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं और न्यूरोमॉनिटरिंग पर कई लेख लिखे हैं. उनकी योगदान का रोगी की देखभाल पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर सर्जिकल परिणाम प्राप्त हुए हैं और रोगी की सुरक्षा में बढ़ोतरी हुई है. डॉ. चेरुकु ने तकनीकों को बेहतर करके, नए प्रोटोकॉल पेश करके और बहु-विषयक टीमों के बीच आपसी सहयोग को प्रोत्साहित करके सर्जरी के दौरान तंत्रिका क्षति के खतरे को कम करने में मदद की है. इसके परिणामस्वरूप ऑपरेशन के बाद बेहतर रिकवरी हुई है और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर हुई है.
सर्जिकल परिणामों और रोगी की सुरक्षा को बढ़ाने के जुनून से प्रेरित होकर डॉ. चेरुकु न्यूरोमॉनिटरिंग के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़ रही हैं और रोगी की देखभाल के क्षेत्र में उत्कृष्टता के एक प्रतिमान के रूप में कार्य करते हैं.