पढ़ाई से बचने के लिए अपनाई खास ट्रिक, 10 साल बाद बन गया स्टार, एक बार में मिले 72 लाख


नयी दिल्ली. ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विजेता के फारवर्ड खिलाड़ी अभिषेक ने पढ़ाई से बचने के लिए हॉकी खेलना शुरू किया था लेकिन उन्हें इस फैसले पर कभी पछतावा नहीं हुआ क्योंकि इस खेल ने उन्हें पहचान, ‘स्टारडम’ और वह सब कुछ दिया जो वह जिंदगी में पाना चाहते थे. अभिषेक ने हालांकि पत्राचार के माध्यम से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने में कामयाबी हासिल की, लेकिन इस खिलाड़ी को पता था कि हमेशा से पता था कि खेल से उन्हें बेहतर उद्देश्य मिलेगा.

पेरिस ओलंपिक में भारत के ब्रॉन्ज मेडल जीतने के अभियान में अहम योगदान निभाने वाले अभिषेक ने ‘पीटीआई’ को दिये इंटरव्यू में कहा, ‘‘मैंने 11 या 12 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था. सोनीपत में इसके अलावा मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था. मेरा एक दोस्त हॉकी खेलने के लिए काफी ट्रेवल करता था. मुझमें कभी पढ़ाई करने का धैर्य नहीं था और जब मैंने देखा कि मेरे दोस्त को हॉकी में व्यस्त होने के कारण स्कूल कम आना होता है, तो मैंने सोचा कि अगर मैं भी हॉकी खेलना शुरू कर दूं तो मैं भी ऐसा ही कर सकता हूं.’’

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उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं रोनाल्डो का बहुत बड़ा फैन हूं. उनके मैदान के बाहर की दिनचर्या, उनका अनुशासन, खान-पान की आदतें… मैं उनके वीडियो देखता हूं और उन्हें (आदतों को) अपनी दिनचर्या में शामिल करने की कोशिश करता हूं. मेरा लक्ष्य भारतीय हॉकी के स्वर्ण युग को पुनर्जीवित करना है. हमने ओलंपिक में मेडल जीतने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन स्वर्ण युग अभी हासिल नहीं हुआ है. यही मेरा लक्ष्य है.’’

बता दें कि अभिषेक फिर से शुरू हो रही हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) की नीलामी में भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह (78 लाख रुपये) के बाद दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी रहे. उन्हें श्राची रार बंगाल टाइगर्स ने 72 लाख रुपये में खरीदा था. यह उनका पहला एचआईएल अनुभव होगा और उम्मीद है कि वह इस टूर्नामेंट को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यहां इंटरनेशनल मैचों से अलग अनुभव होगा. एचआईएल भारतीय हॉकी के लिए भी एक बड़ी बात होने जा रही है क्योंकि हमें लीग में बहुत सारे खिलाड़ियों से मिलने का मौका मिलेगा.”

Tags: Hockey India



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