पनामा नहर पर क्या फिर अमेरिका का होगा नियंत्रण? डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी के क्या है मायने


पनामा नहर पर क्या फिर अमेरिका का होगा नियंत्रण? डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी के क्या है मायने

डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर को लेकर दिया बड़ा बयान

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर पर नियंत्रण को लेकर शनिवार को एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस जलमार्ग से होकर गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों से अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है, उसे देखने के बाद लगता है कि अब इस जलमार्ग का नियंत्रण वाशिंगटन को वापस दिए जाने का समय आ गया है. ट्रंप ने पनामा नहर के आसपास चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत दिया. उन्होंने चीन के इस क्षेत्र में बढ़ते दखल पर गहरी चिंता व्यक्त की है. पनामा नहर दुनिया भर के देशों से कहीं ज्यादा अमेरिका के लिए बेहद अहम है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिकी व्यवसाय अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच माल ले जाने के लिए चैनल पर निर्भर हैं. 

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ट्रंप ने क्या कुछ कहा

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमारी नौसेना और व्यवसाय के साथ बहुत अनुचित और अविवेकपूर्ण व्यवहार किया गया है. पनामा द्वारा ली जा रही फीस हास्यास्पद है. ऐसे में इस तरह की चीजों को तुरंत बंद किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि यदि पनामा चैनल का “सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय संचालन” सुनिश्चित नहीं कर सका,तो हम मांग करेंगे कि पनामा नहर हमें पूरी तरह और बिना किसी सवाल के वापस कर दी जाए.उधर, पनामा के अधिकारियों ने ट्रम्प की पोस्ट पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. 

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कहां है पनामा नहर और क्यों इतना महत्वपूर्ण है ये

पनामा नहर को दुनिया की सबसे अनोखी नहर माना जाता है. ये नहर मध्य अमेरिका के पनामा में स्थित है. यह प्रशांत महासागर ओर अटलांटिक महासागर को जोड़ती है. दुनिया में इसे सबसे जरूर शॉर्टकर भी कहा जाता है. इस नहर की लंबाई कुल 82 किलोमीटर की है. ये नहर अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख जलमार्गों में से एक है. इस नहर से हर साल 15 हजार से भी ज्यादा छोटे और बड़े जहाज गुजरते हैं. 

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इस नहर के बनने से क्या हुआ फायदा

इस नहर से होकर गुजरने की वजह से अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच की दूरी 12,875 किलोमीटर तक घट जाती है. अगर यह नहर नहीं होती तो जहाजों को इतनी दूरी घूमकर तय करनी पड़ती. जिसे पूरा करने में अतिरिक्त ईंधन और समय भी लगता. इस नहर के बनने से अब जहाज इस दूरी को महज 10-12 घंट में ही पूरी कर लेते हैं. 





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