परिवार को नहीं मिला न्याय तो खुद बने वकील, आज बिना फीस के लड़ते हैं जरूरतमंद लोगों के मुकदमे


सुल्तानपुर: कई बार जीवन में लोगों के साथ कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जो उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला देती हैं. कुछ ऐसा ही हुआ सुल्तानपुर न्यायालय में विधि व्यवसाय करने वाले एडवोकेट रवि शुक्ला के साथ. साल 2012 में रवि शुक्ला के परिवार को एक मुकदमे में न्याय नहीं मिला. इससे रवि शुक्ला आहत हुए और इस अन्याय की पीड़ा ने उनको अंदर से झकझोर दिया. लेकिन उन्होंने इस अन्याय को ही अपना मोटिवेशन माना और उसी दिन यह संकल्प लिया कि आर्थिक तंगी कभी भी लोगों को न्याय मिलने में बाधा नहीं बनेगी. यही वजह रही कि रवि शुक्ला आज कई मुकदमे निःशुल्क लड़ रहे हैं.

अब तक लड़े इतने मुकदमे 
एडवोकेट रवि शुक्ला ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अब तक 150 से अधिक मुकदमे निःशुल्क लड़े हैं. इसमें 50 मुकदमे में उनको जीत भी मिली है. इसके साथ ही रनिंग मुकदमों में उनके पास लगभग 1200 फाइलें हैं, जिसमें 400 मुकदमे में पीड़ितों को न्याय दिला चुके हैं.

पारिवारिक बैकग्राउंड 
दुर्गापुर के रहने वाले रवि शुक्ला एक साधारण परिवार से संबंध रखते हैं. इनके पिता किसान थे और माता गृहणी थी, जो आगे चलकर ग्राम सभा की प्रधान भी बनीं. रवि शुक्ला अपनी उदारवादी विचारधारा के कारण बेसहारा लोगों की मदद करने में भी किसी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं रखते. यही वजह रही है कि सुल्तानपुर दीवानी परिसर में विद्वान वकीलों के साथ-साथ वरिष्ठ वकीलों में इनकी गिनती की जाती है.

इनको मानते हैं अपना प्रेरणास्रोत 
रवि शुक्ला बताते हैं कि उनकी शुरुआती आकांक्षा राजनीति करने की रही लेकिन महात्मा गांधी और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से प्रेरणा लेकर उन्होंने वकालत करने की सोची और महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारधारा को आगे बढ़ाने का बेड़ा भी उठाया. इसके साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू के वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा से काफी प्रभावित हुए. वकालत के क्षेत्र में आने वाले नए युवाओं को उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि शुरुआती दौर में उनको सिर्फ अपने काम पर फोकस करना चाहिए जिससे उनके अंदर बेहतर कौशल विकसित हो सके.

FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 08:57 IST



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