पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए शुरू किया ये काम, महिलाओं को होने लगी अच्छी कमाई


रिपोर्ट- सूर्यकांत यादव

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में महिलाओं ने जल स्त्रोतों को प्रदूषण से बचाने का ऐसा बेहतरीन तरीका निकाला है. इससे फूल नदी नाली और नालों में नहीं जाएंगे और उनसे कमाई भी होगी. ये महिलाएं इन फूलों से अगरबत्ती का बना रही हैं. फूलों को महिलाओं द्वारा गणेश पंडालों, दुर्गा पंडाल, सरस्वती पंडालों और अन्य जगहों से एकत्रित किया जाता है. फूलों को इकट्ठा कर उन्हें सुखाकर महिलाएं अगरबत्ती बनाती हैं. इससे उन्हें रोजगार भी मिलता है और नदी नालों में फूल नहीं बहने से प्रदूषण भी नहीं होता.

राजनांदगांव जिले में हरियाली बहिनी अभियान के तहत मां बम्लेश्वरी फेडरेशन से जुड़ी महिलाओं के द्वारा और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा जल स्रोतों को प्रदूषण से बचने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. महिलाओं द्वारा पंडालों में जाकर भक्तों द्वारा चढ़ाए गए फूलों को एकत्रित किया गया. पहले यही फूल प्रतिमा विसर्जन के दौरान तालाब और नदी में विसर्जित कर दिए जाते थे जिससे प्रदूषण होता था.

महिलाओं द्वारा इन फूलों को एकत्रित कर सुखाया जा रहा है और इससे अगरबत्ती तैयार कर बाजार में बेचा जा रहा है. इससे महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं. इस बारे में धनेश्वरी मांडवी स्वयं सहायता समूह की महिला ने लोकल 18 को बताया कि हरियाली बहिनी अभियान के तहत उनके द्वारा गणेश पंडालों, सरस्वती पंडालों और दुर्गा पंडालों से फूलों को एकत्रित किया गया. भक्तों द्वारा चढ़ाए गए फूलों को एकत्रित कर सुखाया जाता है और फिर उनसे अगरबत्ती बनाई जा रही है.

उन्होंने बताया कि फूलों से तैयार होने वाली अगरबत्ती में केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता. यह अगरबत्ती गुणवत्ता में भी पूरी तरह से खरी उतर रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. नदी तालाबों को प्रदूषण से बचने और जल संरक्षण के महत्व को लेकर फूलों से अगरबत्ती तैयार किया जा रहा है.

शिवकुमार देवांगन प्रमुख हरियाली बहिनी अभियान ने लोकल 18 को बताया कि अभियान चलाकर जल प्रदूषण को रोकने का काम महिलाएं काम कर रही हैं. मां बम्लेश्वरी फेडरेशन से जुड़ी महिलाओं द्वारा पंडालों से फूलों को एकत्रित किया जा रहा है और अगरबत्ती बनाई जा रही है. महिला प्रोड्यूसर कंपनी फाफामार और अन्य स्थानों पर अगरबत्ती का निर्माण कर इसे मार्केट में बेचा जा रहा है जिसका लाभ भी महिलाओं को मिल रहा है.

फूलों से अगरबत्ती बनाने के लिए मशीन भी रखा गया है. फूलों को एकत्रित करने के लगभग 20 दिनों की प्रक्रिया के बाद अगरबत्ती का निर्माण किया जाता है. 5 से 10 रुपये पैकेट की कीमत में ये अगरबत्ती बेची जाती हैं.

जल संरक्षण और जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाना है उद्देश्य
हरियाली बहिनी अभियान के तहत मां बम्लेश्वरी फेडरेशन से जुड़ी महिलाओं द्वारा जल स्रोतों को प्रदूषण से बचने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है. इसके साथ ही लोगों को जल संरक्षण को लेकर जागरूक किया जा रहा है और व्यर्थ ही फूलों को नदी तालाबों में नहीं बहाने अपील की जा रही है. इससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है. महिलाएं लोगों को पर्यावरण संरक्षण और जड़ संरक्षण को लेकर जागरूक कर रही हैं.

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