पेंटर की बेटी ने किया कमाल, सरकारी स्कूल से पढ़कर किया NEET पास, अब बनेगी डॉक्टर



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 शक्तिसिंह/ कोटा. जिले के छोटे से कैथून कस्बे की रहने वाली अलीना आयशा ने कठिन मेहनत के बलबूते पर से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित नीट यूजी परीक्षा पास की है. अलीना को ये सफलता तीसरे प्रयास में जाकर मिली है. इससे पहले दो बार वो असफल रही. लेकिन, उसने हार नहीं मानी.तीसरे प्रयास में अपनी मेहनत से नीट एग्जाम में 720 में से 649 नम्बर हासिल किए. 99.63 परसेंटाइल के साथ 7409 ऑल इंडिया रैंक प्राप्त की है.

पहली मुस्लिम लड़की जो डॉक्टर बनेगी

पिता वसीम अंसारी कैथून में पेंटिंग करते है.अलीना तीन बहिन व एक भाई में सबसे बड़ी है. अलीना कैथून नगर पालिका क्षेत्र की पहली मुस्लिम स्टूडेंट है. जिसने नीट में सफलता हासिल की है. अलीना आयशा का सपना है कि वो बेस्ट कॉलेज से एमबीबीएस करे और डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करे.

सरकारी स्कूल से पढ़ी

अलीना आयशा ने बताया कि वो 8 वीं तक संस्कृति पब्लिक स्कूल से पढ़ी है, उसके बाद 9 वीं से 12 वीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की. 10 वीं में 94.83 प्रतिशत लाकर स्कूल टॉपर बनी. 12 वीं में 97.83 प्रतिशत नम्बर लाकर स्कूल की सेकंड टॉपर रही. इसी दौरान उसका मुख्यमंत्री हमारी बेटी योजना में भी चयन हुआ. स्कूल में पढ़ने के दौरान ही अलीना ने डॉक्टर बनने की ठान ली और अपने मिशन पर लग गई. रोज 10 से 12 घंटे पढ़ाई शुरू कर की.

तीसरे प्रयास में हासिल की सफलता

अलीना ने बताया कि साल 2021 में 12 वीं के साथ पहली बार नीट का एग्जाम दिया था. जिसमें 336 नम्बर आए. फिर अगले साल तैयारी के साथ परीक्षा दी. लेकिन सफलता नहीं मिली. केवल 538 नम्बर ही आए. अलीना कहती है कि कम नम्बर आने पर अजीब सा लगता था. उस समय परिवार के सदस्य सपोर्ट करते. मोटिवेशन के साथ आगे तैयारी करने की बात कहते. परिवार के सपोर्ट के कारण ही नीट एग्जाम पास कर पाई हु.

15 किमी रोज ऑटो में सफर किया

अलीना ने बताया कि साल 2021 में 12 वीं पास करने के बाद उसने कोटा में कोचिंग जॉइन की. वो रोज ऑटो में बैठकर 15 किमी दूर कोचिंग में पढ़ाई करने आती थी. रात साढ़े 8 बजे कोंचिंग खत्म करके करीब 10 बजे घर पहुंची थी. ये सिलसिला दो साल तक चला. ऑटो में और भी स्टूडेंट्स उसके साथ आते जाते थे.

 

घर में तीन कमरे है. एक में 65 साल की दादी रहती है. घर में पढ़ाई के लिए अलग से रूम नहीं है. इसलिए दादी के रूम को ही स्टडी रूम बनाया. चारो बहिन भाई दादी के रूम में ही पढ़ाई करते. वो रोज सुबह 6 से दोपहर 12 बजे पढ़ाई करती. फिर दोपहर 1बजे कोचिंग के लिए निकल जाती फिर रात को वापस लौटती.

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