पैशन के लिए छोड़ी सेना की नौकरी… फिर कहीं संतूर बजाते देखे संजय लीला भंसाली, टेलेंट देख दिया मौका छा गया जवान


राधिका कोडवानी/इंदौर: बीएसएफ में 20 वर्ष कांस्टेबल रहा, इस दौरान संतूर बजाना नहीं छोड़ा,  लेकिन जब ऐसा लगने लगा कि अब संतूर के लिए वक्त नहीं निकल पा रहा है, तो अगस्त 2022 में बीएसएफ से वीआरएस रिटायरमेंट ले लिया. परिवार ने भी इस फैसले में साथ दिया और संतूर पर ही फोकस्ड रहने को कहा.  ये कहानी है इंदौर के संतूरवादक मंगेश जगताप की है. साल 2022 में मुंबई में संतूर सीखने आए. जब खर्चे का बोझ जेब सहन नहीं कर पाया, तो साथ में प्रोगाम करना शुरू कर दिया. कई जगह प्रोग्राम करने के बाद इंडस्ट्री में लोगों से जान पहचान बन गई. फिर कुछ यूं शुरू हुआ सफर- ए- बॉलीवुड.

ये कहानी है संतूरवादक मंगेश जगताप का. संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी में इंदौर के कलाकार मंगेश जगताप का संतूर भी कमाल दिखा रहा है. मंगेश ने ठुमरी में संगीत दिया है, जबकि फिल्म के बैंकग्राउंड म्यूजिक में भी मंगेश ने संतूर बजाया है. ऐसा नहीं कि मंगेश बॉलीवुड के पुराने कलाकार है. मंगेश कलाकार से पहले एक ऑर्मी मैन हैं. 20 वर्षों तक सेना में अपनी सेवा देने के बाद बॉलीवुड में एंट्री किए.

बिखरने का मुझको… में भी संतूर बजाया
लोकल 18 से बातचीत के दौरान मंगेश बताते हैं कि संगीतकार खुद संजय लीला भंसाली थे, उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्रों की बारिकियों की परख है. इसलिए उनके साथ काम करने में मजा आया. फिल्म की थीम भी आजादी के पहले लगने वाले एक बाजार पर आधारित है, इसलिए उसके बैंकग्राउंड म्यूजिक में भी पारंपरिक वाद्यों का प्रयोग किया. फिल्म में कई मौके पर बैकग्राउंड म्यूजिक में भी संतूर सुनाई देगा. पहला मौका “जुबली” के मशहूर गीत बिखरने का मुझको शौक के बड़ा…गीत मे भी संतूर बजाया था. जिसे काफी पसंद किया गया था. अलावा “पंचायत” और “घर वापसी”  वेब सीरीज में संतूर बजाया है. फिल्म “अवतार” में भी बैक ग्राउंड म्यूजिक दिया था. इसी वजह से संजय ने मुझे अपनी फिल्म में भी मौका दिया है. वह पैशनेट है, उनका रवैया भी मजेदार है.

मंगेश आगे बताते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट ने संगीत को नहीं बिगड़ा, उसने केवल अपने स्तर का काम किया.  इसकी वजह से असली इंस्ट्रूमेंट का चलन कम हुआ है.  मगर जब भी रूहदारी की बात की जाएगी तो असली इंस्ट्रूमेंट ही अनुभव देगा. आज की पीढ़ी जल्दी फेम पाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट का सहारा लेती है. भारतीय संस्कृति से जुड़े होने के कारण हम सभी को एक न एक असली इंस्ट्रूमेंट को अपनाना होगा.

संगीत के शुरुआती दौर में सिंथेसाइजर, प्यानो, कीबोर्ड बजाया. लेकिन ऐसा लगा कि कुछ छूट रहा है. कुछ अलग भी करना था, तो संतूर की ओर आकर्षित हुआ. इस दुनिया में अगर उन्हें कुछ प्रकृति के करीब लगा तो वह संतूर है. ऐसे में मंगेश कहते हैं कि संतूर को उन्होंने नहीं संतूर ने उन्हें चुना है

Tags: Indore news, Local18



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