पोलियो नहीं रोक पाया कदम, मैकेनिक पिता और नर्स मां की शूटर बेटी ने पेरिस में लहराया परचम


जबलपुर. किसी ने क्या खूब कहा है… ”रोल मॉडल बनना है तो खुद के बनो… कर दिखाओ कुछ ऐसा कि दुनिया करना चाहे आप जैसा”. आज हम बात कर रहे हैं भारत की उस बेटी की, जिसने देश का नाम गौरवान्वित किया है. दरअसल, मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाली रुबीना फ्रांसिस ने पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता है. रुबीना की उम्र महज 25 साल है, जिन्हें बचपन से ही पोलियो की बीमारी थी. उनके पैर तिरछे थे.

रुबीना का परिवार गरीब है. पिता मोटर मैकेनिक हैं तो मां नर्स का काम करती हैं. लिहाजा परिवार ने काफी हद तक रुबीना का इलाज भी कराया. लेकिन, ज्यादा सुधार नहीं हुआ. रुबीना ने पैर में दिव्यांगता होने के बाद शूटिंग में अपना सब कुछ दांव पर लगाया. बीते दिन पेरिस पैरालंपिक में रुबीना ने ब्रॉन्ज जीता. रुबीना पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला पिस्टल निशानेबाज बन गईं. भारतीय पैराशूट रुबीना फ्रांसिस ने तीसरी रैंक में रहकर महिलाओं के 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच-1 के फाइनल में मेडल जीता.

बेटी सपना अभी अधूरा
कैंट बोर्ड जबलपुर में मैकेनिक का काम करने वाले रुबीना के पिता साइमन फ्रांसिस ने Local 18 को बताया कि बेटी के जन्म से ही पैरों में दिक्कत थी. पैर तिरछे थे. काफी इलाज कराया, लेकिन जितनी सफलता हासिल होनी थी, नहीं मिली. बेटी का बचपन से की शूटिंग करने का सपना था. परिस्थितियां अनुकूल नहीं थीं, पैसों की भी अड़चनें आती थी. रुबीना की मां ने बतौर नर्स और मैंने खुद मोटर मैकेनिक का काम कर बेटी को शूटिंग सिखाने का सपना पूरा किया. लेकिन, अभी सपना पूरा नहीं हुआ है. बेटी को देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है.

बचपन से था टारगेट, 15 साल की उम्र से प्रैक्टिस
रुबीना ने बचपन से ही शूटिंग करने का गोल बना लिया था. पढ़ाई के साथ-साथ शूटिंग करने में भी काफी दिलचस्पी थी, जिसको लेकर 15 साल से ही रुबीना ने प्रैक्टिस शुरू की. जिसके लिए गन फॉर ग्लोरी एकेडमी में एंट्री लिया. इसके बाद से ही मेडल जीतने का सिलसिला शुरू हो गया. उन्होंने कहां इस दौरान काफी चुनौतियां थी. लेकिन, बेटी के सपनों के आगे चुनौती कहां टिकने वाली थी. रुबीना का छोटा परिवार है, जिसमें मां और पिता के साथ उनका एक भाई अलेक्जेंडर भी है, जो गुजरात में गैस कंपनी में काम करते हैं.

बेटी को भी घर की हालत ने किया मोटिवेट
रुबीना के पिता का कहना है कि घर की परिस्थितियां इतनी अच्छी नहीं थी. लेकिन, विपरीत परिस्थिति ने बेटी को मोटिवेट किया. कहीं न कहीं बेटी को भी लगता होगा कि मेरे पिता मैकेनिक और मां नर्स हैं. बेटी रुकी नहीं और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ती रही. आज वह घड़ी आ गई जब जबलपुर ही नहीं, पूरा हिंदुस्तान मेरी बेटी पर गर्व कर रहा है. इतना ही नहीं, भारत के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री ट्वीट कर बधाइयां दे रहे हैं.

मैच के दौरान माता-पिता की टीवी पर थी नजर
रुबीना के पिता का कहना है कि जब पेरिस में टूर्नामेंट चल रहा था. तब वह घर में पत्नी के साथ टूर्नामेंट देख रहे थे. हालांकि, थोड़ी सी चूक हुई नहीं तो देश के झोली में सिल्वर मेडल होता. लेकिन, हम काफी खुश हैं. खुशी और दोगुनी हो गई, जब मेडल जीतने के थोड़ी देर बाद ही बेटी ने कॉल लगाया. उन्होंने कहां इस दौरान बेटी इतनी खुश थी कि बात ही नहीं कर पा रही थी. रुबीना ने जबलपुर में बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर एमकॉम में एडमिशन लिया हुआ है, जिनका अगला टारगेट अब देश के लिए गोल्ड मेडल जीत कर लाना है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने दी कॉल कर बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी की बेटी रुबीना फ्रांसिस से कॉल पर बातचीत की और बधाइयां दी. इस दौरान रुबीना ने पीएम मोदी से कहा कि पिछली बार टोक्यो में सातवें स्थान पर थीं, लेकिन पेरिस पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. तभी पीएम ने रुबीना को बहुत-बहुत शुभकामनाएं दीं. इसके बाद रुबीना ने पीएम को बहुत-बहुत धन्यवाद कहा.

Tags: Jabalpur news, Local18, Paralympic Games



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