प्रयागराज महाकुंभ भगदड़: 30 की मौत, सीएम योगी ने की व्यवस्था में बदलाव


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Mahakumbh Stampede News: बुधवार को प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से 30 लोगों की मौत हो गई. कल मौनी अमावस्या का दिन था और भीड़ अनियंत्रित हो गई. लेकिन, इससे पहले भी महाकुंभ में कई बार हादसे हुए हैं. सबसे बड़ा हादस…और पढ़ें

महाकुंभ में हाथी से मची भगदड़, देखते ही देखते 800 से अधिक लोगों की चली गई जान!

कुंभ मेले की प्रतीकात्मक तस्वीर.

हाइलाइट्स

  • प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से 30 लोगों की मौत.
  • 1954 में महाकुंभ में भगदड़ से 800 लोगों की जान गई थी.
  • महाकुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए नए अधिकारी तैनात.

Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार तड़के मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई है. कई अन्य लोग घायल बताए जा रहे हैं. मौनी अमावस्या होने की वजह करोड़ों की संख्या में भीड़ स्नान करने पहुंची थी. भीड़ अनियंत्रित हो गई और लोग एक दूसरे पर गिर गए. इस कारण कई लोगों की जान चली गई. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ जिले की व्यवस्था में कई बदलाव किए गए हैं. कई नए अधिकारियों की तैनाती की गई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है. प्रयागराज और देश के अन्य शहरों में सदियों से कुंभ मेले का आयोजन होता रहा है. कई बार हादसे हुए हैं.

सबसे बड़ा हादस 1954 में इसी इलाहाबाद कुंभ में हुआ था. माना जाता है कि उस दौरान कम से कम 800 लोगों की मौत हो गई थी. उस वक्त कुंभ का इतना प्रचार-प्रसार नहीं होता था. देश की आजादी के बाद पहली बार 1954 में इलाहाबाद कुंभ का आयोजन हुआ था. वह दिन भी मौनी अमावस्या का था. उस दिन भी अनगिनत की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी थी. पहली बार आजाद भारत की सरकार इस आयोजन को मैनेज कर रही थी. वह 3 फरवरी 1954 की तारीख थी. संगम स्थल पर एक हाथी बेकाबू हो गया, जिससे मची भगदड़ में करीब 500 लोगों की जान चली गई. उस घटना के बाद तमाम धार्मिक आयोजनों में कई तरह के बदलाव किए गए. बेहतर संचार के लिए लाउडस्पीकर लगाए गए और रात में दृश्यता बढ़ाने के लिए 1,000 से अधिक स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं. उस घटना के बाद कुंभ मेला में हाथियों के इस्तेमाल पर स्थायी रोक लगा दी गई.

उस समय देश के पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू थे. वह भी मौनी अमावस्या के दिन कुंभ में स्नान करने गए थे. उस समय की कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि पीएम पंडित नेहरू की यात्रा की वजह से भीड़ काफी बढ़ गई है. सेक्युरिटी की वजह से लोगों की आवाजाही के कई मार्ग बंद कर दिए गए. जिससे भीड़ बेकाबू हो गई थी. हालांकि कुछ अन्य अन्य संस्थानों जैसे बीबीसी की रिपोर्टों में कहा गया कि पंडित नेहरू ने घटना से एक दिन पहले ही मेले का दौरा किया था. वे हादसे के वक्त वहां मौजूद नहीं थे. इस घटना के बाद महाकुंभ में व्यावस्था को लेकर अन्य बदलाव किए गए थे.

कुछ अन्य घटनाएं
इसके बाद 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेला में भगदड़ मची थी. वह 14 अप्रैल की तारीख थी. उस दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई वीआईपी मेले में आए. उस वक्त हरिद्वार उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था. वीआईपी लोगों के आने के वजह से तीर्थयात्रियों को स्नान क्षेत्र तक पहुंचने से रोक दिया गया. उसके बाद भगदड़ मच गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक उस घटना में 200 लोगों की जान चली गई थी. 2010 में भी हरिद्वार साधुओं और भक्तों के बीच टकराव के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई. इसके बाद भी कई अन्य कुंभ मेले में भगदड़ की घटनाएं हुई हैं. 2003 में नासिक कुंभ में भगदड़ मची थी जिसमें 39 लोगों की जान चली गई. 2013 में इलाहाबाद (प्रयागराज) में कुंभ के वक्त रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची थी, उसने 42 लोगों की जान चली गई थी.

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