फडणवीस इस्‍तीफा देने पर अड़े, पवार को बीवी की हार में द‍िख रही साज‍िश, महाराष्‍ट्र NDA में कुछ तो गड़बड़ है


मुंबई. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में कुछ ठीक नहीं चल रहा. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को उम्मीद से कम सीटें मिलने के बाद जहां डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को अपने इस्तीफे की पेशकर कर दी, वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो अजित पवार ने महायुति के लिए एक और परेशानी खड़ी कर दी और शायद इसी वजह से वह दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई एनडीए की बैठक में नजर नहीं आए.

दरअसल, अजित पवार की एनसीपी के एक एमएलसी ने बुधवार को संकेत दिया कि महायुति ने बारामती लोकसभा क्षेत्र में एक साथ काम नहीं किया, जहां से मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले ने 1.55 लाख से अधिक वोटों के अंतर से शानदार जीत दर्ज की और अपनी प्रतिद्वंद्वी सुनेत्रा पवार जो कि रिश्ते में उनकी भाभी भी लगती हैं, को मात दी. सुले को 7,32,312 वोट मिले, जबकि सुनेत्रा ने 5,73,979 वोट हासिल किए.

पवार परिवार के गृह क्षेत्र बारामती सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प था, क्योंकि सुले के चचेरे भाई अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार सुले के खिलाफ मैदान में थीं. यह पहली बार है कि पवार परिवार के दो सदस्य एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े. बारामती को “अपमानजनक हार” बताते हुए एनसीपी (एपी) के प्रवक्ता अमोल मिटकारी ने कहा, “हमारे गठबंधन सहयोगियों ने हमारे लिए काम नहीं किया. बारामती एक अपमानजनक हार है. इस हार से किसी को भी निराशा होगी…शुक्रवार को हमारी पार्टी की बैठक है और मैं यह मुद्दा उठाऊंगा.’

उनके चचेरे भाई अजीत ने पिछले साल शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर एनसीपी को विभाजित कर दिया, लेकिन उन्हें बारामती में काफी समर्थन प्राप्त होने के लिए भी जाना जाता है; इसलिए, कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा था कि उनके लिए लगातार चौथी बार जीतना मुश्किल होगा, लेकिन उन्होंने जीत हासिल कर ली.

पत्नी की हार अजित पवार के लिए झटका?
अजित के लिए, उनकी पत्नी की हार एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकती है, खासकर इसलिए क्योंकि यह उनके विद्रोह के ठीक बाद और इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हुई है. उनके बेटे पार्थ पवार भी 2019 के आम चुनाव में मावल निर्वाचन क्षेत्र से अविभाजित एनसीपी के उम्मीदवार के रूप में हार गए थे.

एनसीपी की गढ़ कहे जाने वाले बारामती में चुनाव जीतने के लिए दोनों गुटों ने कोई कसर नहीं छोड़ी क्योंकि शरद पवार खुद मतदाताओं तक पहुंचे, जबकि अजित ने कई सार्वजनिक बैठकें कीं. सुले ने लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों – बारामती, इंदापुर, दौंड, भोर और पुरंदर में पार्टी की अगुवाई की. चुनावी नतीजों की आधिकारिक घोषणा से काफी पहले ही एनसीपी (एसपी) के कार्यकर्ताओं ने उनकी जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था.

फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की
इससे पहले बुधवार सुबह उस वक्त महाराष्ट्र एनडीए में खलबली मच गई, जब संसदीय चुनाव में राज्य में भाजपा के लोकसभा सदस्यों की संख्या 23 से नौ पर आने के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की ताकि वह विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के कामकाज पर ध्यान केंद्रित कर सकें. उन्होंने कहा, “मैं महाराष्ट्र के नतीजों की जिम्मेदारी लेता हूं. मैं पार्टी नेतृत्व से अनुरोध करता हूं कि मुझे सरकार में जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए ताकि मैं आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए पूरा समय काम कर सकूं.”

अब से छह महीने से भी कम समय में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. उन्होंने कहा, “इस परिणाम की पूरी जिम्मेदारी मेरी है. मैं मानता हूं कि इस सबमें कहीं न कहीं मेरी कमी रही है और मैं इस कमी को दूर करने का पूरा प्रयास करूंगा.” फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र में भाजपा को जो झटका लगा है, उसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूं. अब मैं विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं और इसीलिए मैं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अनुरोध करने जा रहा हूं कि मुझे सरकार में मेरी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाए और पार्टी में पूर्णकालिक रूप से काम करने का मौका दिया जाए.”

महाराष्ट्र में किस पार्टी कितनी सीटें?
महाराष्ट्र में भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार नीत राकांपा की ‘महायुति’ (गठबंधन) को कुल 48 में से 17 लोकसभा सीट पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) को 30 सीट पर जीत हासिल हुई. कांग्रेस ने 13, शिवसेना (यूबीटी) ने नौ और राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने आठ सीट जीतीं. वहीं, भाजपा ने नौ, शिवसेना ने सात और राकांपा ने सिर्फ एक सीट जीती, जिससे महायुति की सीटों की संख्या 17 हो गई.

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