फसल को ऐसे रख सकते हैं कीटों के प्रकोप से दूर, वैज्ञानिकों की सलाह मान ले सकते है अधिक पैदावार


हेमंत लालवानी/पाली: मानसून के सक्रिय होने के साथ ही जब अच्छी बारिश होती है तो किसानों के चेहरे खिल जाते है. उनकी फसले अच्छे से खेतो में लहराती नजर आएंगी. मगर मानसून अपने साथ – साथ किसानों के लिए यह टेंशन भी लेकर आता है कि बारिश के बाद खरीफ की फसलों में कीट सक्रिय होने लग जाते है. जलभराव वाली फसलों की जड़ों के गलने की समस्या सामने आती है. कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी फसलों के बचाव को लेकर किसानों को कीटनाशक के छिड़काव के बारे में बता रहे हैं.

वैज्ञानिक डॉ. अरविन्द तेतरवाल ने बताया कि जड़ों को सड़ने से बचाने किसानों को सिंचाई में गेप बढ़ाना चाहिए. पानी जमा होने से रोकना होगा. खेत से 10 से 15 फीट दूर हल्की खाई बनानी चाहिए, ताकि पानी निकासी आसानी से हो. कीट सक्रिय होने पर किसान फसल में फ्लोनिकामिड नामक दवा का छिड़काव कर सकते हैं. ये दवा सफेद मक्खी पर नियंत्रण के लिए कारगर हैं. कीट का असर ज्यादा है तो स्पाइरोमेसिफेन (ओबेरोन) 200 मिली लीटर या पायरीप्रोक्सीफेन (लेनो) नामक दवा की 400-500 मिली लीटर मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

नीम का पानी घोलकर भी कर सकते छिड़काव
किसान 5 किलो नीम की खली का पानी घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव कर सकते हैं. गर्मियों में कम जुताई वाले खेतों में ज्यादा समस्या रहती है. तीन दिन से ज्यादा रिमझिम बारिश का दौर जारी रहने पर फसलों में सफेद मक्खी व जड़ों के गलने की समस्या बढ़ जाती है. बारिश में जहां पानी का भराव ज्यादा होता है. वहां जड़ गलने की समस्या रहती है. यह समस्या मिर्च, बेंगन व ग्वार की फसलों में सबसे ज्यादा रहती है. जड़े खराब होने के बाद फसलें रिकवर नहीं होती किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है.

सिंचाई के समय इसका रखें ध्यान
वैज्ञानिकों की माने तो तीन दिन से ज्यादा भराव क्षेत्र में फसल रहीं है तो किसानों को सिंचाई नहीं करनी चाहिए. जिससे फसलों में बारिश के पानी का असर कम किया जा सके. यदि लंबे समय बाद मौसम खुल रहा है तो ऐसे मौसम में धूप निकलते ही फसलों का खरपतवार निकालना चाहिए. खेत में खुरपी चला गहरी खुदाई करनी चाहिए. इससे जमीन की नमी को कम किया जा सके.

मूंग में फली छेदक कीट पर ऐसे करे नियंत्रण
मूंग की फसल में फली छेदक लट का प्रकोप बारिश के बाद अब मूंग की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं. मूंग की फसल में आंशिक पत्ते काटने वाली एवं फली छेदक लट व मूंग की फसल में सेमी लूपर, तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप है. कृषि अधिकारी ने बताया कि मूंग में फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए नीम तेल 1500 पीपीएम को 4-5 एमएल प्रति लीटर व इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी को 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करना चाहिए. वहीं क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20 से 25 किलो प्रति हैक्टेर की दर से भुरकाव कर सकते हैं. आवश्यकता हो तो 15- 15 दिन के अन्तराल में छिड़काव या भुरकाव दोहराएं.

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