फेस्टिव सीजन में कहीं आपको खराब कार न बेच दे डीलर, डिलीवरी से पहले इन बातों का रखें ध्यान


हाइलाइट्स

फेस्टिव सीजन में कई डीलर लोगों को खराब कार बेच देते हैं.इससे बचने के लिए कार की डिलीवरी लेने के पहले PDI जरूर करना चाहिए.PDI में कार की जांच-पड़ताल के साथ डाॅक्यूमेंट्स को भी चेक कर सकते हैं.

नई दिल्ली. देश में फेस्टिव सीजन अब शुरू ही होने वाला है. ऐसे में कई लोग कार खरीदने की प्लानिंग करने लगे हैं. इनमें से कई ऐसे लोग भी होंगे जो पहली बार कार खरीद रहे होंगे और यह उनकी फैमिली की पहली कार होगी. ऐसे में लोगों की उम्मीद होती है कि जो कार वह खरीद रहे हैं उन्हें उसकी पूरी वैल्यू मिले. लेकिन नई कार खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है. आपको बता दें कि त्योहारी सीजन की आड़ में कई बार डीलर लोगों को डिफेक्टिव कार बेच देते हैं. जिसे बाद में ग्राहकों को उसे ठीक कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अगर आप भी नई कार की बुकिंग कर चुके हैं और डिलीवरी के इंतजार में हैं तो कार की डिलीवरी लेने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें.

यहां हम आपको बता रहे हैं कि कार खरीदने से पहले क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए. कार डीलर से कैसे डील करें और शोरूम से कार की डिलीवरी लेने से पहले प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन (PDI) क्यों जरूरी है और इसे कैसे किया जाता है. आइए जानते हैं…

शोरूम पर डिफेक्टिव कार थमा देते हैं डीलर
शोरूम पर चार तरीकों से डीलर बेचते हैं हैं डिफेक्टिव कार
(1) कार डीलर शोरूम पर कुछ कारों का टेस्ट मॉडल रखते हैं जिसका इस्तेमाल ग्राहकों को टेस्ट ड्राइव देने के लिए किया जाता है. ये कारें कई लोगों द्वारा ड्राइव चलाई जाने से डैमेज हो जाती है और इनके कुछ पार्ट्स खराब भी हो जाते हैं. डीलर बड़ी चालाकी से इन कारों को रिपेयर कर नए ग्राहकों को बेच देते हैं.

(2) कुछ गाड़ियां ऐसी होती हैं जो ट्रांसपोर्टेशन के दौरान डैमेज हो जाती हैं या उनके बाहरी भाग में डेंट आ जाता है. कुछ डीलर इन कारों को भी रिपेयर कर ग्राहक को बिना बताए बेच देते हैं.

(3) डिमांड ज्यादा न होने के वजह से कई बार कारें डीलर के स्टॉकयार्ड में खड़ी रहती हैं. इन कारों पर मौसम के प्रभाव के कारण जंग लगने लगता है, पेंट खराब हो जाता है और टायर भी खराब होने लगते हैं. डीलर इनसब खामियों को छुपाते हुए कार ग्राहकों को बेच देते हैं.

(4) कई बार गाड़ियों के कुछ वैरिएंट की वेटिंग लंबी होती है. ऐसे में गाड़ियों की सप्लाई पूरा करने का दबाव बढ़ जाता है. जल्दबाजी में सप्लाई की गई गाड़ियों में कुछ कमियां रह जाती हैं, जिन्हें बाद में रिपेयर कर ग्राहक को बेच दिया जाता है.

PDI क्यों जरूरी और कब करना चाहिए?
PDI यानी प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन. यह एक प्रोसेस है, जिसमें कार की डिलीवरी से पहले इंस्पेक्शन फैसिलिटी मिलती है. इसमें कार के इंटीरियर, एक्सटीरियर, इंजन और सभी फीचर्स को चेक किया जाता है कि वे ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं. PDI करने से पता चल सकता है कि कार में कोई दिक्कत तो नहीं है. कार डीलर को पहले से पता होता है कि कार में क्या प्रॉब्लम है और डिलीवरी से पहले किस तरह कस्टमर से उसे छिपाना है. इसलिए गाड़ी रजिस्टर होने से पहले ही कार का PDI कर लेना चाहिए.

डीलर खुद PDI करता है. पूरी तरह से चेक करने के बाद कार पर PDI बैज लगा दिया जाता है, जिससे पता चलता है कि कार डिलीवरी के लिए तैयार है. डीलर से कार की डिलीवरी लेने से पहले कस्टमर भी खुद कार की PDI कर सकता है और अपने लेवल पर हर एक चीज को चेक कर सकता है.

जानिए कैसे करते हैं PDI…
सबसे पहले एक चेक लिस्ट बनाएं. इस लिस्ट में कार में चेक किए जाने वाले एक-एक पॉइंट को नोट कर लें जैसे- इंजन, एक्सटीरियर, इंटीरियर, टायर, फीचर्स, कार का पेंट आदि. इस लिस्ट का फायदा ये होगा कि कोई भी चीज छूटेगी नहीं.

एक्सटीरियर को ऐसे करें चेक…
–कार के चारों ओर घूमकर देखें कि इसमें कोई स्क्रेच या डेंट तो नहीं है. खासकर बंपर और कार के किनारों पर जरूर ध्यान दें.
–छोटे-मोटे स्क्रेच को छुपाने के लिए डीलर कार को पॉलिश कर देते हैं. एक-दो बार वॉशिंग के बाद ये स्क्रेच दिखने लगते हैं.
–इसके लिए कार की पूरी बॉडी पर हाथ फेर कर देखें. इससे डेंट या स्क्रेच होगा तो पकड़ में आ जाएगा. इससे पेंटवर्क दिख जाएगा.
–बॉडी को एकदम पास से और साइड एंगल से देखें. इससे अगर कहीं री-पेंट किया गया है तो कलर डिफरेंस दिख जाएगा.
–कार के सभी कॉर्नर जैसे- डोर के किनारे और पैनल गैप, विंडो के चारो ओर के किनारे और फ्रंट बंपर को ठीक से देखें.
–जब कोई कार लंबे समय तक खड़ी रहती है, तो टायर फ्लैट हो जाते हैं. नई कार के टायर भी कटे-फटे हो सकते हैं.
–चारों टायर की जांच करें, रिम और एलॉय व्हील को भी देखें. स्टेपनी को ठीक से देखें, जैक और अन्य टूल्स भी चेक करें.

इंटीरियर को ऐसे करें चेक…
–कार के अंदर डैशबोर्ड, अपहोल्स्ट्री, सीट और ग्लोवबॉक्स की ठीक से जांच करें.
–फ्लोर की मैट हटा दें और चेक करें कि क्या कारपेट में नमी या कोई गंदगी तो नहीं है.
–कार के सभी मिरर भी चेक कर लें कि कहीं इसमें कोई क्रैक या खरोंच तो नहीं है.
–कार के सभी स्विच की जांच करें. यह देख लें कि ये सही से काम कर रहे हैं या नहीं.
–एयर कंडीशनर (AC) चालू करें और चेक करें कि केबिन जल्दी ठंडा होता है या नहीं.

इंजन, ओडोमीटर और फ्यूल
–कार का बोनट खोलें और इसके फ्लूइड लेवल्स की जांच करें. इंजन ऑयल, कूलेंट, ब्रेक फ्लूइड और विंडस्क्रीन वाशिंग फ्लूइड भरा होना चाहिए.
–इंजन स्टार्ट करें और थोड़ी देर चालू रहने दें. बोनट के नीचे देखें कि कोई लीकेज तो नहीं हैं या कोई असामान्य आवाज या कंपन सुनाई दे रही है.
–इसके अलावा एक्सिलरेटर पैडल पर पैर रखकर दो तीन बार एक्सिलरेट करके इंजन की आवाज सुनें. इंजन से काला धुआं तो नहीं निकल रहा.
–नई कार की ओडोमीटर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा है, तो इस बारे में डीलर से बात करें.

कार के डॉक्युमेंट्स भी करें वेरिफाई
–कार के सभी पेपर्स जैसे- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस कवर, मैन्युअल्स, वारंटी कार्ड, रोडसाइड असिस्टेंस नंबर और सर्विस बुक चेक करें.
–डीलर से ‘फॉर्म 22’ लेकर जरूर चेक करें. इसमें कार का इंजन नंबर, चेसिस नंबर और कार मैन्युफैक्चरिंग के महीने और साल की जानकारी होती है.
–चेक करें कि कार का व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN), इंजन नंबर और चेसिस नंबर डीलर द्वारा दिए डॉक्युमेंट्स से मेल खाता है या नहीं.

टेस्ट ड्राइव लें
–डीलर रिप्रेजेंटेटिव के साथ एक बार टेस्ट ड्राइव जरूर लें. टेस्ट ड्राइव के दौरान कार की स्टीयरिंग, गियरशिफ्टर, ब्रेक और सस्पेंशन को चेक करें.
–ध्यान रखें कि गाड़ी में ज्यादा आवाज तो नहीं आ रही और चेक करें कि कार ज्यादा वाइब्रेट तो नहीं कर रही. इंजन की नॉइस को भी नोटिस करें.

इंस्पेक्शन का वीडियो बनाएं
सारी चीजें चेक करने के बाद ही उस कार को अपने नाम पर रजिस्टर्ड कराएं. रजिस्ट्रेशन होने के बाद उस कार पर नजर बनाएं रखें. कार को वापस सर्विस सेंटर के अंदर न जाने दें. अगर कार को अंदर भेजना ही है तो किसी कार के साथ भेजें. अगर आप और ज्यादा सिक्योर होना चाहते हैं तो पूरे इंस्पेक्शन का एक वीडियो बना लें.

ये जरूरी टिप्स भी जान ले…
–डीलर अगर PDI करने से रोकता है तो समझ जाइए कार में कुछ गड़बड़ है. ऐसी कार लेने से आप इनकार कर सकते हैं.
–PDI में कोई बड़ी प्रॉब्लम मिले तो ऐसी कार न लेना ही समझदारी है. इससे भविष्य में आपकी जेब हल्की नहीं होगी.
–प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप एक खराब या डैमेज गाड़ी लेने से बच जाते हैं.
–कई बार जरा सी चूक के कारण नुकसान उठाना पड़ जाता है या फिर बाद में शोरूम के चक्कर काटने पड़ते हैं.

Tags: Auto News, Car Bike News



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