बंगला विवाद पर राघव चड्ढा को कोर्ट से मिली राहत, अगली सुनवाई तक नहीं होगा एक्शन, राज्यसभा सचिवालय के आदेश पर रोक
नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हॉउस कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को सरकारी आवास आवंटन मामले में राहत दी है. राघव चड्ढा की अर्जी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमेटी के आदेश पर रोक लगा दी है. पटियाला हॉउस कोर्ट ने अपने आदेश में कहा इस मामले में राघव चड्ढा का आधार मजबूत दिखाई देता है, लिहाजा राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमेटी फिलहाल इस मामले में अपने आदेश पर अगली सुनवाई तक कोई करवाई न करे.
पटियाला हाउस कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 10 जून को करेगा.
दरअसल, राज्यसभा सचिवालय की ओर से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सबसे पहले नई दिल्ली में एक टाइप-VII बंगला आवंटित किया गया था, जोकि आमतौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों या मुख्यमंत्रियों को दिए जाते हैं. इसके बाद राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमिटी ने राघव चड्ढा की सांसद कैटेगरी के अनुसार उनको टाइप-VI श्रेणी का दूसरा नया बंगला आवंटित किया था, जिसमें रेनोवेशन कराने के बाद से वह अपने परिवार के साथ रह रहे थे. लेकिन अब उनके सरकारी आवास का आवंटन टाइप-IV का पात्र होने के चलते एक बार फिर से रद्द कर दिया गया. राज्यसभा सचिवालय की हाउसिंग कमिटी के इस फैसले के खिलाफ AAP सांसद ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने एक प्रतिवेदन राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) जगदीप धनखड़ को भी दिया था. राघव ने अपने सरकारी आवास का आवंटन एक बार फिर से रद्द किए जाने के फैसले को भाजपा सरकार की विद्वेष की भावना करार दिया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘राज्यसभा सांसद के रूप में अभी मेरा कार्यकाल 5 साल से अधिक बचा है, लेकिन मेरे आवास को रद्द करके भाजपा अपनी द्वेषभावना को जाहिर कर रही है. मेरे आवास के आवंटन को रद्द करके, सरकार एक नागरिक के रूप में मेरे अधिकारों का उल्लंघन कर रही है और लोकतंत्र की महत्ता को कम कर रही है. इस तरह का कदम उठाकर इस सरकार ने उसकी नीतियों को कठघरे में खड़ा करने या चुनौती देने वालों को एक डरावना संदेश भेजा है.’
उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया कि प्रतिवादी (राज्यसभा सचिवालय) जल्दबाजी में काम कर रहा है और इस बात की प्रबल आशंका है कि वादी (राघव चड्ढा) को आवास से जबरन बेदखल किया जा सकता है. वादी (चड्ढा) की ओर से यह भी कहा गया है कि बंगला किसी और को आवंटित नहीं किया जाना चाहिए. राघव चड्ढा ने मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए प्रतिवादी से 5,50,000 रुपये (राज्यसभा सचिवालय की हाउसिंग कमिटी) का हर्जाना भी मांगा है. राघव चड्ढा ने अदालत को अपनी याचिका के माध्यम से बताया कि उनके सरकारी आवास का आवंटन बिना कोई नोटिस जारी किए रद्द कर दिया गया. उन्होंने अदालत को बताया कि उक्त आवास का आवंटन राज्यसभा के सभापति द्वारा उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया था. वह उस बंगले में मरम्मत कार्य कराने के पश्चात अपने परिवार के साथ रहने लगे थे.
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FIRST PUBLISHED : June 08, 2023, 10:23 IST