बचपन में उठा पिता का साया…जवानी में कट गए दोनों हाथ, अब दौड़ लगा रहा यह दिव्यांग



Para Athlete Story बचपन में उठा पिता का साया...जवानी में कट गए दोनों हाथ, अब दौड़ लगा रहा यह दिव्यांग

सुमित भारद्वाज/पानीपत: कहते हैं सपने वो नहीं होते जो बंद आंखों से देखे जाएं, सपने वो होते हैं…जो खुली आंखों से देख कर पूरे किए जाएं. और जब ऐसे सपनों को पूरा करने के लिए कोई जीजान लगा देता है तो फिर मुश्किलें उसे रोक नहीं पाती. पानीपत के गांव नौल्था निवासी दिव्यांग मनीष भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं.

साल 1998 में एक गरीब परिवार में जन्मे मनीष के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया. पढ़ाई में रुचि रखने वाले मनीष ने बड़ी मुश्किल से B.com किया. फिर एक फैक्ट्री में काम करने लगा, ताकि घर के आर्थिक हालात को सुधार सके. नौकरी को अभी एक साल ही बिता था कि एक हादसे में उसे दोनों हाथों को गंवाना पड़ गया. करंट लगने के कारण डॉक्टर को इलाज के दौरान दोनों हाथ कांटने पड़े.

फिर एथलीट बना मनीष
इसके बावजूद मनीष के हौसले बुलंद थे. मनीष ने ठान लिया कि उसके हाथ कट चुके हैं, पर उसके पैर तो सलामत हैं. मनीष ने दौड़ लगाना शुरू की और 1500 मीटर की दौड़ की तैयारियों में जुट गया. 2020 से मनीष लगातार पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पसीना बहा रहा है. एथलीट के कोच महिपाल भी पूरी मेहनत से मनीष की तैयारियां करवा रहे हैं. इसी साल मनीष नेशनल प्रतियोगिताओं के लिए ट्रायल दे चुका है, जिसमें वह चौथे स्थान पर रहा. आने वाली नेशनल प्रतियोगिताओं के ट्रायल में 2024 में मनीष फिर से हिस्सा लेगा.

गरीबी डाल रही रुकावट
मनीष का कहना है कि वह इस बार प्रथम आकर खुद को नेशनल लेवल पर जरूर काबिज करेगा और एक दिन वह पैरा ओलंपिक में 1500 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर इंडिया को रिप्रेजेंट करेगा. बताया कि उसके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है, उसे शिवाजी स्टेडियम में आने के लिए रोजाना 50 से 60 रुपये का किराया देना पड़ता है. महंगी डाइट की भी उसे जरूरत होती है, जिसके लिए वह असमर्थ है. मनीष के हौसले को देखते हुए कोच भी उसकी संभव मदद करते हैं.

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FIRST PUBLISHED : June 03, 2023, 17:26 IST



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