बजट 2025: महंगे इलाज से राहत की तलाश में आम आदमी, हेल्थ सेक्टर की निगाहें सरकार पर


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आम बजट 2025-26 से स्वास्थ्य क्षेत्र को बहुत उम्मीदें हैं. महंगे इलाज से जूझ रहे लोग और अस्पताल व दवा कंपनियां रियायतों की उम्मीद कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर GST कम करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट बढ़ाना और…और पढ़ें

बजट: महंगे इलाज से राहत की तलाश में आम आदमी, हेल्थ सेक्टर की निगाहें सरकार पर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करेंगी.

नई दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी. यह उनका आठवां और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट होगा. हेल्थ और फार्मा सेक्टर किसी भी देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं. भारत में भी ये क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं और आगामी बजट से इनकी उम्मीदें काफी अधिक हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दे तो इन सेक्टरों को बड़ा फायदा हो सकता है. आइए जानते हैं कि हेल्थ और फार्मा सेक्टर की इस बजट से क्या अपेक्षाएं हैं.

भारत का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र रोजगार और राजस्व के मामले में सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है. यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के सीएमडी डॉ. पीएन अरोड़ा ने कहा कि इस बजट से कई आशाएं जुड़ी हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर लगने वाले इनपुट जीएसटी को कम करना चाहिए. साथ ही, उन्होंने बीमा कंपनियों की क्लेम प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया. डॉ. अरोड़ा का मानना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में वृद्धि और निजी क्षेत्र को सहयोग देने से लोगों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सकता है. खासतौर पर उन इलाकों में बुनियादी ढांचे को सुधारने की जरूरत है, जहां स्वास्थ्य सेवाएं अभी तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाई हैं.

फार्मा सेक्टर की भी इस बजट से बड़ी उम्मीदें हैं. इंफॉर्मा मार्केट्स इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास के अनुसार, भारतीय फार्मा उद्योग 2030 तक 130 बिलियन डॉलर और 2047 तक 450 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की क्षमता रखता है. इसके लिए सरकार को ग्लोबल पॉलिसी बनाने और लाइफ सेविंग दवाओं पर जीएसटी और आयात शुल्क में छूट देने की जरूरत है. साथ ही, रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) को बढ़ावा देने के लिए अलग से योजनाएं बनानी चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि फार्मा उत्पादों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन देकर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजनाओं का विस्तार और घरेलू एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स) निर्माताओं को सहयोग जरूरी है. उनका मानना है कि ये कदम ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल को भी मजबूती देंगे.

कुल मिलाकर, हेल्थ और फार्मा सेक्टर दोनों ही इस बजट से सुधार और सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे उनकी वृद्धि और नवाचार को बल मिल सके.

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