बहराइच में अचानक कहां से आया भेड़ियों का कुनबा? कैसे बन गए यह आदमखोर? जानिए सबकुछ


बहराइच : बहराइच में लगातार हो रहे भेड़ियों के आतंक ने एक सवाल खड़ा कर दिया है? सवाल यह है कि आखिर कहा से आए ये भेड़िये और कैसे बन गए आदमखोर? दरअसल बहराइच शहर का एक बड़ा हिस्सा घाघरा नदी के किनारे बसता है. जिसमें तहसील नानपारा, तहसील महसी, तहसील कैसरगंज के गांव आते हैं. महसी तहसील क्षेत्र का कटाई घाट इलाका जहां से घाघरा होकर गुजरती है, वहां के ग्रामीणों ने बताया कि यहां कछार इलाके में भाठ बने ऐरिया में भेड़ियों का डेरा हुआ करता था. अधिक पानी व बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर यह इलाका घाघरा नदी में समा गया. इसके बाद इन भेड़ियों को गांव के खेतों में पनाह लेनी पड़ी. बाद में इन भेड़ियों ने अपने भोजन को लेकर बच्चों पर हमला करना शुरू कर दिया और आदमखोर बन गए .

कैसे रहते थे भेड़िए भाठ बना कर

नदी का एक किनारा जो दलदला होता है और यह कछार इलाके से लगा हुआ रहता है.जो बड़े-बड़े जंगली पेड़ पौधे से घिरा हुआ रहता है. ऐसा कहा जाता है, यहां ये भेड़िए डेरा डालकर रहते हैं. लेकिन जब इन इलाकों में पानी अधिक हो जाता है या बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो कई बार यह भटक जाते हैं और जंगल की तरफ न जा कर ग्रामीण इलाकों की तरफ आ जाते हैं.

कैसे बन जाते हैं भेड़िये आदमखोर 

जानकारों के मुताबिक यह जानवर जानबूझकर आदमखोर नहीं बनते. गलती से यह जब मनुष्य के ऊपर हमला करते हैं, तो मनुष्य के रक्त का स्वाद इनके दातों और जुबान पर लगता है. तो यह उसको दोबारा पाने की कोशिश करते हैं और इस तरह यह आदमखोर बन जाते हैं.

एक आदमखोर भेड़िया कई आदमखोर बना देता है

दरअसल जब एक आदमखोर भेड़िया किसी मानव शरीर का शिकार करने के बाद उसको लेकर भागता है.इसके बाद भेड़ियों का झुंड इनको खाने के लिए दौड़ता है और इस तरह नए भेड़िए भी आदमखोर बन जाते हैं.

रात्रिचर जानवर

इन भेड़ियों के हमले और शिकार का समय रात का होता है. क्योंकि यह जानवर रात्रिचर जानवर होते हैं. इनको रात को बेहतर दिखाई देता है और रात को शांति में इनको शिकार करना भी पसंद होता है. इसलिए यह अपना शिकार रात को ही करते हैं.

Tags: Hindi news, Local18



Source link

x