बांग्लादेशियों को भूलना पड़ेगा पाकिस्तान का कहर, यूनुस सरकार ने जारी किया फरमान


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बांग्लादेश के यूनुसराज में बांग्लादेशियों को अब पाकिस्तान का कहर भूलना पड़ेगा. अब बंगालियों के नरसंहार के लिए पाकिस्तान सेना को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. यूनुस सरकार के नए फरमान पर अब बांग्लादेश का सरकारी रेडिय…और पढ़ें

बांग्लादेशियों को भूलना पड़ेगा पाकिस्तान का कहर, यूनुस ने जारी किया फरमान

यूनुस सरकार का मानना है कि बंगालियों पर नरसंहार के लिए पाकिस्तान सुना को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

पाकिस्तान की सरकार धीरे-धीरे बांग्लादेश पर अपना शिकंजा कस रही है. पाकिस्तानी शिकंजे का असर धीरे-धीरे सामने भी आ रहा है. बांग्लादेश के राष्ट्रपति यूनुस ने अब एक फरमान जारी किया है कि सरकारी रेडियो स्टेशन बांग्लादेश बेतार ऐसे किसी भी गाने या सामग्री को प्रसारित न करें जो पाकिस्तान और उसके द्वारा बंगालियों के नरसंहार की निंदा करता हो. सभी सरकारी रेडियो और टीवी को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी सरकारी मीडिया अब इसका जिक्र नहीं कर सकता कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानियों ने 30 लाख बंगालियों को मार डाला और लाखों लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार किया. यूनुस सरकार का मानना है कि बंगालियों पर नरसंहार के लिए पाकिस्तान सुना को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

बांग्लादेश के राष्ट्रपति यूनुस के निर्देशानुसार, सरकारी रेडियो और टीवी चैनल्स अब पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी ऐसी सामग्री प्रसारित नहीं कर सकेंगे, जिसमें 1971 के दौरान 30 लाख बंगालियों के नरसंहार और लाखों महिलाओं के साथ बलात्कार की निंदा की गई हो. इसके अलावा, पाकिस्तान के पूर्व नेताओं जैसे मोहम्मद अली जिन्ना, जुल्फिकार अली भुट्टो, अयूब खान और टिक्का खान के खिलाफ टिप्पणियों पर भी रोक लगा दी गई है. ये वही नेता हैं, जिन पर बांग्लादेशियों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया जाता रहा है.

इसके अलावा यूनुस सरकार ने 1952 के भाषा आंदोलन और 1971 के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी ऐतिहासिक दस्तावेजों और वीडियो फुटेज को नष्ट करने की तैयारी शुरू कर दी है. इस कदम का उद्देश्य भविष्य में पाकिस्तान पर किसी भी तरह के आरोप लगाने से रोकना बताया जा रहा है.

इस फैसले पर बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका कहना है कि यह कदम बांग्लादेश के इतिहास और उसके संघर्ष को मिटाने की साजिश है. 1971 के नरसंहार और भाषा आंदोलन को बांग्लादेश की आजादी और राष्ट्रीय पहचान की नींव माना जाता है.

इन सारे नए दिशा निर्देशों का मतलब साफ है कि पाकिस्तान का शिकंजा बांग्लादेश की यूनुस सरकार पर कसता जा रहा है और अब बांग्लादेश वही कर रहा है जो पाकिस्तान कह रहा है. यानी आने वाले दिन बांग्लादेश की जनता को काफी भारी साबित हो सकते हैं.

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