बांग्लादेश की अकड़ ढीली कर देगा भारत, ‘पसीना चुआने’ की तैयारी में बिहार, जानिये किस प्लान पर हो रहा काम


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India Bangladesh dispute: बांग्लादेश लगातार हिंदुओं पर अत्याचार कर रहा है और इसके साथ ही वह भारत को अकड़ भी दिख रहा है. बॉर्डर पर बीएसएफ जवानों के साथ झड़पों की भी खबरें आने लगी हैं. लेकिन, अब बांग्लादेश की अकड़ ढीली करने के लिए…और पढ़ें

बांग्लादेश की अकड़ ढीली कर देगा भारत, 'पसीना चुआने' की तैयारी कर रहा बिहार

पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • भारत बांग्लादेश गंगा जल संधि पर बिहार ने पुनर्विचार की अपील की.
  • रीन्युअल से पहले केंद्र सरकार से बिहार का हित देखने की अपील की.

पटना. बिहार ने बांग्लादेश को पानी देने की कसौटी पर आपत्ति जाहिर की है और इसको लेकर केंद्र सरकार से विचार के लिए अनुरोध किया है. बिहार का मानना कहना है कि इस मामले में उन सभी राज्यों की हिस्सेदारी तय होना चाहिए जहां से गंगा बहती है. बता दें कि बांग्लादेश को गंगा नदी से मिलने वाले पानी का अधिकतर भाग की आपूर्ति बिहार से बिहार के हिस्से से होती है और इस कारण बिहार में ही जल संकट की स्थिति आ जाती है. अब बिहार सरकार में इस ओर ध्यान दिया है और जल संसाधन मंत्री ने कहा है कि इसको लेकर केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है.

जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि हमलोग आरंभ से 1996 के समझौते की समीक्षा की मांग कर रहे हैं. हमारा मानना है कि इस समझौते को अंतिम रूप देने से पहले हमारी राय नहीं ली गई थी. समझौते में बिहार की अपेक्षा की गई विरोध का बड़ा कारण फरक्का बराज भी है. जल संसाधन मंत्री ने कहा कि फरक्का बराज के कारण संपूर्ण बिहार में गाद की समस्या बढ़ती जा रही है. गंगा गाद से भर रही है या यूं कहिए कि एक तरह से गंगा मर रही है. इससे बाढ़ की स्थिति भी विकराल हो रही है. चूंकि समझौते की समीक्षा का समय आ गया है इसलिए हम लोग चाहते हैं कि बिहार की आवश्यकताओं और गाद की समस्या को देखते हुए समझौते पर पुनर्विचार किया जाए.

बिहार सरकार ने केंद्र के सामने रखा पक्ष
मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि इसके कारण गंगा के प्रवाह समेत इसके जलीय जीव जंतुओं पर जो दुष्प्रभाव पड़ा है और पारिस्थितिकी संतुलन में बदलाव और बिगड़ाव जो हुआ है, इन सब का अध्ययन किया जाए. बिहार और बिहार के लोगों की चिताओं का निराकरण कर ही समझौते का नवीकरण (रीन्यूअल) हो. जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं अपनी इन चिताओं से प्रधानमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को समय-समय पर अवगत कराया है.

गंगा का पानी अधिकांश बिहार से जाता है बांग्लादेश
दरअसल, बिहार का यह भी पक्ष है कि बांग्लादेश को गंगाजल की अधिकांश मात्रा बिहार देता है, जबकि गंगा नदी के किनारे वाले राज्य अपने यहां बेधड़क उसके पानी का उपयोग कर रहे हैं. वहां बिजली परियोजनाएं बनीं हैं, बराज बने हैं. यही नहीं सिंचाई के लिए भी गंगाजल का उपयोग कर रहे हैं, जबकि बिहार को हर कार्य के लिए केंद्र से अनुमति लेनी पड़ती है. बिहार का मानना है कि बांग्लादेश जाने वाले गंगा जल का कोटा बिहार के साथ-साथ यूपी उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के लिए भी समान रूप से तय हो.

बांग्लादेश से पानी के बंटवारे का गणित जानिये
बता दें भारत और बांग्लादेश के बीच जो समझौते हुए हैं उसके तहत गंगा के पानी का बंटवारा 70 हजार क्यूसेक पानी में 35 हजार क्यूसेक भारत को रहेगा और 35 हजार क्यूसेक बांग्लादेश को. अगर यह मात्रा 70 से 75 हजार क्यूसेक है तो शेष जो प्रवाह है वह भारत के पास रहेगा. बाकी 35 हजार कि उसे बांग्लादेश के पास 75 हजार क्यूसेक से अधिक होने पर 40 हजार क्यूसेक भारत के पास रहेगा और शेष प्रवाह बांग्लादेश को जाएगा.

बांग्लादेश से समझौते पर होगा पुनर्विचार!
बता दें कि भारत बांग्लादेश जल संधि का अगले साल नवीकरण (रीन्यूअल) होना है. वर्ष 1996 में भारत के प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के बीच गंगाजल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था. इसके तहत दोनों देशों के बीच गंगाजल का बंटवारा किया गया था. भारत-बांग्लादेश गंगा जल संधि के 30 वर्षों बाद अब समीक्षा होनी है. यह 2026 में पूरी होगी. इस साल समस्या के बिंदुओं पर चर्चा शुरू हो गई है और जल्द ही दोनों देशों में तकनीकी वार्ता प्रारंभ होने वाली है.

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