बागेश्वर के इस धारे में सालभर बहता रहता है ठंडा पानी, होता है बहुत शुद्ध, भरने के लिए लगी रहती है लाइन 


रिपोर्ट- लता प्रसाद

बागेश्वर: यूं तो उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश-विदेश में काफी प्रचलित है. प्रकृति ने स्वयं ही उत्तराखंड को कई वरदान दिए हैं. इसमें से एक यहां की सड़कों और रास्तों पर बहने वाले प्राकृतिक धारे भी हैं. इन धारों का पानी पहाड़ में अमृत के समान शुद्ध माना जाता है. बागेश्वर बिलौना के समीप त्यूनरा में भी एक ऐसा ही धारा हैं जिसमें पूरे साल शीतल और निर्मल पानी बहता है. इस धारे को माघ के धारे के नाम से जाना जाता है.

यदि आप बागेश्वर में किराए के कमरे में रहते हैं और फ्रिज का पानी पीना पसंद नहीं करते या फिर आपके घर में साफ पानी नहीं आ रहा है तो आपके लिए माघ का धारा मददगार साबित हो सकता है. इस प्राकृतिक धारे की खासियत यह है कि इसमें सभी प्रकार के मौसम में ठंडा पानी बहता है. धारे से 100 फीसदी पीने योग्य शुद्ध पानी बहता है. चाहे मौसम गर्म हो ठंडा हो या फिर मानसून काल चल रहा हो धारे में आपको शुद्ध, निर्मल और साफ पानी ही मिलेगा. धारे की शुद्धता को देखते हुए यहां सुबह और शाम पानी ले जाने वाले लोगों का ताता लगा रहता है. यहां से आवाजाही करने वाले राहगीर भी बोतलों में यहां का पानी भरकर ले जाते हैं और सफर में पानी पीते हैं.

धारा लगभग 50 वर्षों से भी अधिक पुराना है. पुराने समय में धारा एक पत्थर के ऊपर से होते हुए बहता था लेकिन, बाद में आपदा के चलते पत्थर टूट गया तो स्थानीय लोगों ने इसमें एक लकड़ी का नल बनाकर लगाया जिससे फिर सालों तक पानी बहता रहा. उसके बाद इसमें लोहे का पाइप लगाया गया. फिर साल 2021-22 में बागेश्वर नगरपालिका का धारे की ओर ध्यान गया और उन्होंने एक लाख अस्सी हजार की लागत से धारे के आसपास की मरम्मत और जीणोद्धार कराया.

धारे के पानी का स्रोत धारे के ऊपर पड़ने वाले पहाड़ माने जाते हैं. इन पहाड़ों में बांज, फल्याट, चीड़ के अलावा अन्य मिश्रित पेड़ हैं जिनकी नमी से धारे में हमेशा ठंडा पानी आता है. इसके साथ ही शुद्धता की दृष्टि से भी इस पानी को पूरे बागेश्वर में शुद्ध माना जाता है. कई प्रकृति प्रेमियों का मानना है कि जहां से धारा बहता है इसके ऊपर वाले पहाड़ में चूना और आयरन पत्थर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसकी गुणवत्ता से पानी की शुद्धता और बढ़ जाती है.

मान्यता यह भी है कि माघ के धारे का मतलब है की मांग की पूर्ति करने वाला धारा. प्रकृति में रहने वाले प्रत्येक प्राणी को जब भी प्यास लगे तो यह धारा उनके लिए हमेशा उपलब्ध रहता है इसलिए इसे मांग को पूरी करने वाला धारा भी कहा जाता है. बाकी आप बागेश्वर आए तो एक बार माघ के धारे से पानी जरूर पिएं. अपने थके हुए सफर से आपको राहत जरूर मिलेगी.

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