बागेश्वर धाम के इलाके में लेटे हनुमानजी भी, सोना पाने के लिए अंग्रेजों ने कर दी थी मूर्ति खंडित, जानें कथा
छतरपुर. जिले में वैसे तो हनुमान जी के बहुत से चमत्कारिक मंदिर हैं, लेकिन जमीन पर लेटे हनुमानजी की विशाल मूर्ति अनोखी है. बारीगढ़ में हनुमानजी की ऐसी ही एक मूर्ति है, जिसके इतिहास के बारे में लोगों को ज्यादा नहीं पता. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मूर्ति अंग्रेजों के जमाने में भी थी. सुजान सिंह ने लोकल 18 को बताया कि हनुमानजी की लेटी विशाल मूर्ति अंग्रेजों के जमाने से भी पहले की है. इस मूर्ति का सटीक इतिहास किसी को नहीं पता है. हम जन्म से देखते आ रहे हैं. हमारे पिता-पुरखे भी ये मूर्ति देखते आए हैं.
बड़े से रिया पेड़ के नीचे थी मूर्ति
आगे बताया, यहां रिया का एक विशाल पेड़ था. इसी पेड़ के नीचे हनुमानजी लेटे मुद्रा में थे. अभी 3-4 साल पहले ही एक चौरसिया परिवार ने यहां मंदिर निर्माण करवाया है. जिसके चलते रिया पेड़ को काटना पड़ा. जब यहां निर्माण कार्य किया जा रहा था, तब लकड़ी के सहारे हनुमानजी की इस मूर्ति को जमीन से ऊपर उठाया गया था. पहले मूर्ति का सिर्फ सिर ही दिखता था, बाकी मूर्ति जमीन के अंदर ही धंसी थी. अब ये ऊपर आ गई है.
सेना के अधिकारी का बढ़ा मान
वहीं दूसरे रहवासी ने बताया, हनुमानजी की यह मूर्ति बहुत ही चमत्कारिक है. चौरसिया परिवार के लड़के जो आज मिलिट्री में अच्छी रैंक में हैं, उन्होंने मनोकामना मांगी थी कि उनकी पोस्ट बढ़ जाए. जब रैंक बढ़ गई तो उन्होंने यहां निर्माण कार्य करवाया. यहां विशाल भंडारा और यज्ञ भी होता है. जिले से ही नहीं बल्कि यूपी से भी लोग यहां आते हैं.
अंग्रेजों ने कर दी थी मूर्ति खंडित
रहवासियों के मुताबिक, अंग्रेजों को पता चला था कि इस विशाल हनुमान मूर्ति के नीचे सोना दबा है तो उन्होंने सोना निकालने के लिए मूर्ति को भी खंडित कर दिया. आज भी हनुमान जी मूर्ति का एक पैर कटा है. लेकिन, अब मूर्ति की मरम्मत करके पूजा जाने लगा है. श्रद्धालुओं की यहां मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हालांकि, यहां पुजारी नहीं हैं.
FIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 18:30 IST