बाप के साथ हिट रही थी लालू की जोड़ी, पर तेजस्वी ने नहीं दिया भाव, अब मुस्लिम वोट के लिए होना पड़ा नतमस्तक


पटना. बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव से ठीक पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने बड़ा दांव खेल दिया है. लालू यादव के इस दांव से कई पार्टियों के समीकरण तहस-नहस हो सकते हैं. लालू यादव का यह दांव तेजस्वी यादव को साल 2025 में मुख्यमंत्री बनाने के लिए भी कारगर साबित हो सकता है. सालों से आरजेडी और खासकर तेजस्वी यादव से नाराज चल रहे बाहुबली नेता और सिवान के दिवंगत पूर्व सांसद मोहम्मद शाहबुद्दीन का पूरा परिवार आरजेडी में शामिल हो गया है. सालों बाद शाहबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और बेटे ओसामा का फोटो लालू यादव के साथ नजर आया. लालू यादव जिस तरह से शाहबुद्दीन के बेटे और राजनीतिक वारिस ओसामा को निहार रहे थे, उससे साफ झलक रहा था कि उन्होंने बड़ा काम कर दिया.

आपको बता दें कि 90 के दशक से लेकर साल 2014 तक लालू यादव और मोहम्मद शाहबुद्दीन की दोस्ती की चर्चाएं बिहार के बच्चा-बच्चा के जुबान पर था. कहा जाता है कि मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में रखने के लिए लालू यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में शाहबुद्दीन को खुली छूट दे रखी थी. इसी का नतीजा था कि सालों तक शाहबुद्दीन की दबंगई सिवान ही नहीं पूरे बिहार में सुर्खियां बटोरा करता था. यहां तक की प्रशासन की भी हिम्मत नहीं होती थी कि शाहबुद्दीन पर हाथ रख थे. लेकिन, शाहबुद्दीन के निधन और लालू यादव के जेल जाने के बाद दोनों परिवार में दरार आ गया.

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लालू-शाहबुद्दीन के बाद बन गई तेजस्वी-ओसामा की जोड़ी
जानकार बताते हैं कि शाहबुद्दीन के निधन के कई दिनों तक लालू परिवार ने परिवार का हाल-चाल नहीं पूछा. कोरोना काल में ही शाहबुद्दीन का एम्स में निधन हो गया था. परिवार डेड बॉडी को सिवान ले जाना चाहता था. लेकिन, कोरोना गाइडलाइन के कारण काफी दिक्कतें आ रही थीं. इसके लिए शाहबुद्दीन का परिवार तेजस्वी यादव से संपर्क साधा. लेकिन, उन्होंने मदद नहीं की.

तेजस्वी ने रिश्तों की अहमियत को नहीं समझा?
हालांकि, तेजप्रताप यादव जरूर कुछ दिनों के बाद सिवान गए थे. लेकिन, इसके बाद दोनों परिवारों में सालों तक तल्खी रही. जानकारों की मानें तो तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि उनकी छवि पिता की छवि के साये में आगे बढ़े. लेकिन, हाल के दिनों में मुस्लिम वोट बैंक को खिसकते देख और प्रशांत किशोर के ताबड़तोड़ हमले के बाद लालू यादव ने बेटे को समझाया. शायद लालू यादव को अब लगने लगा है कि मुस्लिम-यादव यानी माई समीकरण में प्रशांत किशोर सेंध लगा देंगे. इसलिए उन्होंने ये बड़ा दांव खेला.





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