बाराबंकी का ये किसान उगा रहा विदेशी सब्जी, बड़े-बड़े होटलों में है डिमांड


बाराबंकी: जिले के किसान अब बाजार की मांग और उससे होने वाले मुनाफे को देखकर बागवानी में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. इससे उन्हें बेहतर लाभ मिल रहा है. खास बात यह है कि बागवानी में भी किसान सबसे ज्यादा सब्जियों की खेती कर रहे हैं. ऐसी ही एक फसल है जुकिनी है, जिसकी खेती किसान बड़े स्तर पर कर रहे हैं. इससे किसानों की कमाई काफी अधिक बढ़ गई है. जुकिनी सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है. वैसे भी जुकिनी गर्मी के मौसम में बाजारों में महंगी बिकती है, जिससे किसानों को तगड़ा मुनाफा भी हो रहा है.

जुकिनी एक कद्दू वर्गीय फसल है. इसे चप्पन कद्दू के नाम से भी जाना जाता है. इस सब्जी की खेती करने पर लागत बेहद कम आती है और मुनाफा अधिक होता है. बाराबंकी जिले के बादीनगर गांव के रहने वाले युवा किसान अर्जुन सिंह ने एक बीघे से जुकिनी की खेती की, जिसमें उन्हें अच्छा लाभ देखने को मिला. आज वह करीब तीन बीघे में दो तरह के कद्दू की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें दो से तीन लाख रुपये तक मुनाफा प्रतिवर्ष हो रहा है.

कम लागत में अधिक मुनाफा
किसान अर्जुन सिंह ने बताया कि पहले वह पारंपरिक फसलों की खेती करते थे. लेकिन, अधिक मेहनत के बाद भी मुनाफा अच्छा नहीं होता था. ऐसे में कद्दू आदि की खेती करने का प्लान बनाया. इसके लिए कद्दू की खेती को लेकर जानकारी हासिल की. फिर एक बीघे में पीली जुकिनी छप्पन कद्दू की खेती शुरू कर दी, जिसमें अच्छा मुनाफा हुआ. इस बार तीन बीघे में कद्दू की खेती की है, जिसमें दो तरह का कद्दू है. इसकी खेती में जो लागत है करीब एक बीघे में 10 से 12 हजार रुपये आती है. क्योंकि इसमें बीज, खाद, कीटनाशक दवाइयां, लेबर आदि का खर्च आ जाता है और वही मुनाफा करीब दो से तीन लाख रुपये तक हो जाता है.

कैसे करें खेती
इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की जुताई करते हैं. उसके बाद इसमें मेड़ बनाकर निश्चित दूरी पर बीज की बुआई करते हैं. करीब 15 से 20 दिन बाद जब पौधा थोड़ा बड़ा हो जाता है. फिर, उसकी सिंचाई होती है. इससे पौधों की समान रूप से वृद्धि होती है. उसके बाद उसमें खाद व कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करते हैं. इससे पौधे में रोग नहीं लगता है. वहीं, पौधा लगाने के महज दो महीने बाद में फसल निकलना शुरू हो जाती है. पीली जुकिनी को तोड़कर लखनऊ के होटल पर भेजी जाती है, जो करीब 50 रुपये किलो में जाती है. क्योंकि, इसकी बिक्री हाई लेवल पर होती है. ठेलों पर यह पीली जुकिनी बिक्री के लिए किसी व्यक्ति को नजर नहीं आएगी. लेकिन, इसकी डिमांड बड़े-बड़े होटलों और सुपरमार्केट में होती है.

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