बिना शादी के भी महिला भरण-पोषण की हकदार, युवक की याचिका खारिज – News18 हिंदी
रितिका तिवारी/भोपाल. महिलाओं के संबंध में हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि अगर महिला और पुरुष लंबे समय से पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हैं, तो दोनों कानूनी रूप से शादीशुदा माने जाएंगे. ऐसे केस में पत्नी भरण पोषण की हकदार भी होगी.
जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने फैसला सुनाते हुए लंबे समय से बिना शादी के साथ रह रहे युवक-युवती के मामले में युवती को भरण पोषण का हकदार बताया है. साथ ही याचिका दायर करने वाले युवक को भरण पोषण देने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने युवक की याचिका खारिज कर दी है.
युवती से नहीं हुई शादी
साल 2012 में बालाघाट के रहने वाले शैलेंद्र बोपचे ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने धारा 125 के तहत याचिकाकर्ता शैलेंद्र को उनकी कथित पत्नी को 1500 रुपए भरण पोषण देने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ शैलेंद्र ने फिर अपील दायर की, जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था. शैलेंद्र की याचिका में ऐसा कहा गया था कि उस महिला से उनकी कभी शादी नहीं हुई है, जिस पर न्यायालय ने स्वीकार किया कि युवती शैलेंद्र की वैधानिक रूप से पत्नी नहीं है, जिसके बाद युवती ने दावा किया कि उन दोनों का विवाह एक मंदिर में हुआ था.
मंदिर में हुई थी शादी
युवती ने कोर्ट में दावे के साथ कहा था कि उसका विवाह शैलेंद्र के साथ मंदिर में हुआ था, लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने वह इस बात कि पुष्टि नहीं कर पाई. इसके बाद कोर्ट ने दोनों को लंबे समय तक पति-पत्नी के रूप में साथ रहने के आधार पर युवती को भरण पोषण की राशि देने का आदेश दिया. याचिका में कहा गया था कि युवती उम्र में उससे बड़ी है. इसके अलावा उसके खिलाफ धारा 376 का प्रकरण भी दर्ज करवाया है. अव्यस्क होने के कारण जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड में मामले की सुनवाई हुई थी और वह दोषमुक्त हुआ था.
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FIRST PUBLISHED : April 7, 2024, 11:59 IST