बिहार उपचुनाव: राजा का बेटा नहीं; गरीब का बेटा बनेगा राजा, नक्सल क्षेत्र के लोगों ने इसबार इनके पक्ष में
कुंदन कुमार/ गया: बिहार में इमामगंज, बेलागंज, रामगढ़ और तरारी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार जोरों पर है. आगामी 13 नवंबर को मतदान होना है और जैसे-जैसे यह दिन करीब आ रहा है, चुनावी सरगर्मियां भी तेज़ होती जा रही हैं. इमामगंज सीट पर खासतौर से त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है, जिसमें एनडीए से जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी, महागठबंधन से रोशन मांझी और जन सुराज से जितेंद्र पासवान आमने-सामने हैं.
लुटुआ पंचायत में चुनावी मुद्दों पर जनता से बातचीत
लोकल 18 की टीम ने इमामगंज के विभिन्न गांवों और प्रखंडों में जाकर मतदाताओं से बातचीत की. इसी सिलसिले में टीम ने अति-नक्सल प्रभावित लुटुआ पंचायत का दौरा किया, जो बांके बाजार प्रखंड के तहत आता है और जंगल-पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. एक दशक पहले तक यह इलाका नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता था, जिससे यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर रहा है.
कोठिलवा गांव में, जो पासवान और मांझी समुदाय का मुख्य केंद्र है, दोनों समुदायों के मतदाताओं की राय बंटी हुई नजर आई. पासवान जाति के मतदाता जन सुराज के प्रत्याशी जितेंद्र पासवान को समर्थन दे रहे हैं, जबकि मांझी समाज के लोग एक बार फिर जीतन राम मांझी पर भरोसा जता रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यहां सड़क तो बनी है, लेकिन नल जल और किसानों के लिए डैम जैसी बुनियादी सुविधाएं अब भी अधूरी हैं. पिछले चुनाव में जीतन राम मांझी ने डैम और अस्पताल बनाने का वादा किया था, जो आज भी अधूरा है.
पासवान समुदाय का बदलाव का समर्थन, मांझी समाज का पुराना भरोसा
जन सुराज के विचारों से प्रभावित पासवान समुदाय के लोगों का कहना है, “इस बार राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, बल्कि गरीब का बेटा राजा बनेगा. 10 साल मांझी को मौका दिया, लेकिन सड़क के अलावा कुछ नहीं हुआ. यहां डैम की सख्त जरूरत है, बिना डैम के खेती पिछड़ रही है और रोजगार के लिए हमें दूसरे प्रदेश जाना पड़ता है.” दूसरी ओर, मांझी समाज के लोग कहते हैं, “सड़क के अलावा कोई और काम नहीं हुआ, लेकिन फिर भी हम मांझी के साथ हैं.”
विकास की उम्मीदों पर मतदाताओं का भरोसा
इस बार के चुनावी संघर्ष में इमामगंज के मतदाता उन उम्मीदों के साथ मतदान करेंगे जो बुनियादी जरूरतों और अधूरे वादों को लेकर हैं. 13 नवंबर को इमामगंज की जनता तय करेगी कि उनके विकास और भविष्य का नेतृत्व कौन करेगा.
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FIRST PUBLISHED : November 10, 2024, 24:55 IST