बीमार पड़ने पर बच्चों को गर्म सलाखों से दागते हैं लोग, भारत में इस जगह है ये खतरनाक प्रथा
<p class="p1" style="text-align: justify;">भारत में अलग-अलग प्रथाओं और परंपराओं का पालन सदियों से होता आ रहा है. हालांकि<span class="s1">, </span>कुछ प्रथाएं आज के आधुनिक समाज के लिए खतरनाक और स्वीकार न करने लायक बन चुकी हैं<span class="s1">, </span>फिर भी वो कुछ इलाकों में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं. ऐसी ही एक खतरनाक प्रथा शहडोल जिले में पाई जाती है<span class="s1">, </span>जहां बीमारियों के इलाज के नाम पर बच्चों को गर्म सलाखों से दागने की प्रथा प्रचलित है. यह प्रथा न केवल बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बनती है<span class="s1">, </span>बल्कि इस के मानसिक और भावनात्मक प्रभाव भी गंभीर होते हैं.</p>
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<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>गर्म सलाखों से दागने की प्रथा क्या है?</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">गर्म सलाखों से दागने की प्रथा<span class="s1">, </span>जिसे स्थानीय भाषा में<span class="s1"> ‘</span>लोहा लगाने<span class="s1">’ </span>या<span class="s1"> ‘</span>तंत्र<span class="s1">-</span>मंत्र<span class="s1">’ </span>भी कहा जाता है<span class="s1">, </span>एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है<span class="s1">, </span>जिसे कुछ आदिवासी क्षेत्रों में अपनाया जाता है. शहडोल जैसे जिलों में यह माना जाता है कि जब कोई बच्चा किसी गंभीर बुखार<span class="s1">, </span>मलेरिया या अन्य संक्रामक बीमारी का शिकार हो<span class="s1">, </span>तो उसे ठीक करने के लिए शरीर पर गर्म सलाखों से दागा जाता है. यह माना जाता है कि इससे बच्चे के शरीर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा या रोग का असर खत्म हो जाएगा और बच्चा जल्दी ठीक हो जाएगा.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">इस प्रक्रिया में एक लोहे की सलाख को आग में गर्म किया जाता है और फिर उसे बच्चे की त्वचा पर दाग दिया जाता है. यह प्रक्रिया बहुत दर्दनाक होती है और अक्सर इससे गंभीर जलन<span class="s1">, </span>घाव और संक्रमण हो सकता है. कुछ जगहों पर इसे<span class="s1"> ‘</span>शरीर से बीमारी को निकालने<span class="s1">’ </span>के रूप में देखा जाता है<span class="s1">, </span>हालांकि यह मेडिकल नजरिये से एक खतरनाक उपाय है. कई बार गर्म सलाखों से दागने के चलते बच्चे की जान तक चली जाती है. इसका समय-समय पर विरोध भी होता आया है फिर भी ये प्रथा आज भी जारी है.</p>
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<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>इस जगह पर बच्चों को गर्म सलाखों से दाग देते हैं लोग</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">बच्चों को गर्म सलाखों से दागने की प्रथा शहडोल में हैं. शहडोल मध्य प्रदेश का एक आदिवासी क्षेत्र है, जो अपनी विशेषताओं और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता है. इस क्षेत्र में कई प्राचीन प्रथाएं आज भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक है गर्म सलाखों से बच्चों को दागने की प्रथा. यहां के लोग यह मानते हैं कि बुखार, मलेरिया और अन्य बिमारियों से निजात पाने के लिए यह एक पारंपरिक उपाय है.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">शहडोल में इस प्रथा का पालन तब किया जाता है जब किसी बच्चे को किसी प्रकार की बीमारी हो और पारंपरिक दवाइयां और उपचार प्रभावी नहीं होते. यह विश्वास है कि दागने से शरीर से नकारात्मक तत्व बाहर निकल जाते हैं और बच्चा स्वस्थ हो जाता है. हालांकि ये प्रथा बहुत दर्दनाक है और इससे कई बार जान भी चली जाती है.</p>
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