मदरसा छीनने नहीं देंगे…मौलवियों ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ क्यों खोला मोर्चा, शहबाज शरीफ की फूल रही सांसें
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अब एक नया बवाल शुरू हो गया है. शहबाज शरीफ सरकार चाहती थी कि वह देश में चल रही सभी मदरसों को अपने अंडर ले ले. लेकिन मौलवियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मौलवियों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके मदरसे किसी भी तरह से सरकार के प्रभाव में नहीं आएंगे और सरकारी विभाग का हिस्सा नहीं बनेंगे. इससे पहले 2019 में मौलवियों ने कहा था कि वे मदरसों को सरकार के अंडर ले जाने के लिए तैयार हैं.
पाकिस्तान में हजारों मदरसे चलते हैं, जो पारंपरिक तौर पर अभी मौलवियों के नियंत्रण में हैं. लेकिन 2019 में मदरसा बोर्ड ने इन मदरसों को शिक्षा मंत्रालय को सौंपने पर सहमति जताई थी. मंत्रालय ने कहा था कि इन मदरसों में अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन अब मौलवियों की संस्था इत्तेहाद तंजीमात-ए-मदारिस पाकिस्तान ने ऐलान किया कि वे मदरसों को किसी भी कीमत पर छीनने नहीं देंगे. इस संस्था में इस्लाम के विभिन्न संप्रदायों के मौलवी प्रतिनिधि हैं.
क्या चाहते हैं मौलवी
मौलवियों के एक समूह ने इस्लामाबाद में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल मौलाना फजलुर रहमान से मुलाकात की और मदरसों को छीनने की कोशिश कर रही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सरकार चाहती है कि 2019 में जो समझौता सरकार के साथ हुआ था, उसे रद्द किया जाए और जिला प्रशासन को आदेश दिया जाएगा कि वे मदरसों का पंजीकरण न करें.
मिस्र की तरह हों मदरसे
‘डॉन’ की खबर के मुताबिक, मौलवियों के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में बरेलवी, देवबंदी, शिया और अहले हदीस विचारधाराओं से संबंधित मदरसा बोर्ड शामिल थे, जबकि पांचवां बोर्ड जमात-ए-इस्लामी के नियंत्रण वाले मदरसों का था. मुफ्ती तकी उस्मानी ने बैठक के कहा कि 2019 में शिक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आने का बोर्ड का सामूहिक निर्णय दबाव में लिया गया था, क्योंकि उस समय उन्होंने सोचा था कि किसी और की तुलना में शिक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में रहना बेहतर है. उस्मानी ने कहा कि मदरसे स्वायत्त बने रहेंगे तथा वे पाकिस्तान में प्राधिकारियों के अधीन नहीं होंगे, जैसा कि वे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र में हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 16:58 IST