मनीष की जीत की कहानी, पिस्टल नहीं थी तो खुद को ऐसे किया तैयार, टोक्यो पैरालंपिक में जीता सिल्वर


फरीदाबाद. पेरिस पैरालंपिक 2024 के दूसरे दिन भारत ने अब तक चार मेडल जीत लिए हैं. निशानेबाजी में मनीष नरवाल ने मेंस 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया. मनीष नरवाल ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को गोल्ड जिताया था. अब पेरिस पैरालंपिक 2024 शूटिंग में उन्होंने कुल 234.9 अंक बनाए और साउथ कोरिया के जों जोंगडू ने 237.4 अंक बनाकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. भारत को रजत पदक दिलाने वाले मनीष नरवाल ने अपने जीवन में काफी संघर्षों का सामना किया. आइए जानते हैं उनके पिता से मनीष की स्ट्रगल स्टोरी.

22 की उम्र में खेले दो ओलंपिक
दिलबाग सिंह मनीष नरवाल के पिता ने Local 18 को बताया अभी पेरिस पैरालंपिक में मनीष ने अभी सिल्वर मेडल हासिल किया है. इससे पहले टोक्यो 2020 में भी मनीष ने पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लिया हुआ है. आज हमारे घर में बहुत बड़ी खुशी की बात है. 22 साल की उम्र में बच्चे ने दो ओलंपिक खेल चुका है और दोनों ही ओलंपिक में उसने मेडल जीते हैं. यह बहुत गर्व की बात है. एक 22 साल का बच्चा दूसरे देश की धरती पर हमारा तिरंगा जब ऊपर जाता है. हमें बड़ा गर्व होता है. बहुत गर्व है हमें अपने बच्चों पर. हमारा बच्चा बहुत ही होनहार बच्चा है.

पहले फुटबॉल खेलना था शौक
मनीष नरवाल के पिता ने बताया मनीष को हमने इस खेल में 2016 में हमने इस गेम में डाला है. इससे पहले जो मनीष का जो पर्सनल शौक था, वह था फुटबॉल खेलना. दिलबाग सिंह नरवाल ने बताया मनीष की शूटिंग करियर की शुरुआत साल 2016 में बल्लभगढ़ में हुई. साल 2021 के पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप में उन्होंने P4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल SH1 इवेंट में 218.2 अंक के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल जीता. वहीं, 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में मनीष नरवाल ने P4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल SH1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता.

राइट हैंड पिस्टल से की लेफ्ट हैंडड मनीष ने प्रैक्टिस
मनीष नरवाल के पिता ने बताया कि वह लेफ्ट हैंड से शूटिंग करता है. हमारे पास पिस्टल नहीं होती थीं और जो रेंज की पिस्टल होती थीं वो राइट हैंड गिरी की पिस्टल होती थी. यह लेफ्ट हैंड में पड़कर प्रैक्टिस करता था. बहुत बड़ा मुश्किल काम होता है. राइट हैंड की पिस्टल लेफ्ट हैंड में पड़कर शूटिंग करना बहुत मुश्किल काम होता है. सिर्फ 3 महीने की मेहनत से इसको खेल में बहुत जुनून था 3 महीने की प्रैक्टिस में इसने टूर्नामेंट में पहला गोल्ड मेडल जीता.

करीब 6 महीने के बाद फिर कोच ने बताया कि पिस्टल इसके लिए अरेंज करो हमारे पास पिस्टल के पैसे नहीं होते थे. जैसे तैसे अरेंज करके पिस्टल लाए. उसके बाद मनीष ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इसका एक शौक था गोल्ड मैडल का इसको दूसरा मैडल कोई पसन्द ही नहीं होता था. इंटरनेशनल लेवल पर मनीष के 60 से 70 मेडल आ चुके हैं. नेशनल और इंटरनेशनल मिलाकर अब तक टोटल 100 से अधिक मेडल हासिल कर चुका है.

हमें अपने बेटे पर है गर्व
दिलबाग सिंह ने बताया मनीष का जन्म बल्लभगढ़ में ही हुआ है. मनीष ने पढ़ाई बल्लभगढ़ से ही किया है. मनीष 12वीं से पहले कुंदन ग्रीन वैली स्कूल में पढ़ता था और अभी वो बल्लभगढ़ अग्रवाल कॉलेज में पढ़ रहा है. मनीष की सारी पढ़ाई और बचपन बल्लभगढ़ में ही बीता है. संतोष नरवाल मनीष नरवाल की माता ने बताया हमें अपने बेटे पर गर्व है. उसने परिवार के साथ-साथ इस देश का भी नाम गर्व से ऊंचा किया है.  मनीष पहले 50 मीटर में पैरालंपिक में गोल्ड लेकर आया था. इस बार 10 मीटर में सिल्वर मेडल लेकर आया है. इस बार वो गोल्ड से चूक गया. अगली बार 2028 में वो गोल्ड मैडल लेकर जरुर आयेगा.

Tags: Faridabad News, Local18, Paralympic Games, Success Story



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