महाकुंभ 2025: प्रयागराज में नाक तक सिंदूर लगाने की परंपरा और महत्व
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Mahakumbh 2025 : इस समय महाकुंभ का पर्व चल रहा है. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. इस दौरान आपने कई महिलाओं को नाक से लेकर सिर तक सिंदूर लगाते देखा होगा. ये परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि स…और पढ़ें

महाकुंभ मेला 2025 (फोटो साभार PTI)
हाइलाइट्स
- प्रयागराज में इस समय महाकुंभ का आयोजन चल रहा है.
- जहां लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं.
Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में इस समय महाकुंभ का आयोजन चल रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ में दूसरा शाही स्नान होगा. फिलहाल आपने संगम में डुबकी लगाने वाली कई महिलाओं को नाक तक सिंदूर लगाए हुए देखा होगा. ये दृश्य अपने आप में बहुत खास होता है. हम जानते हैं कि सिंदूर सिर्फ एक श्रृंगार का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. आइए इस विषय में समझते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि नाक तक सिंदूर लगाने की परंपरा का क्या मतलब है और इसके पीछे की मान्यता क्या है?
नाक से सिर तक सिंदूर का महत्व
महिलाएं जब पवित्र संगम में स्नान करती हैं, उसके बाद वे सिर से लेकर नाक तक सिंदूर लगाती हैं. इस सिंदूर को सूर्य की लालिमा से भी जोड़ा जाता है, जो ऊर्जा, शक्ति और जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है. सिंदूर की लंबी रेखा, जो महिला के नाक से सिर तक होती है, यह मान्यता प्रकट करती है कि महिला के पति की उम्र लंबी होगी और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा. इस प्रकार से सिंदूर न सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह एक आशीर्वाद भी है.
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नारंगी सिंदूर का विशिष्ट महत्व
जहां सामान्य रूप से शादीशुदा महिलाएं लाल रंग का सिंदूर लगाती हैं, वहीं बिहार और झारखंड की महिलाएं सिर से नाक तक नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं. इसका एक खास कारण है. नारंगी सिंदूर की शुभता को मान्यता दी जाती है. हनुमान जी को नारंगी रंग का सिंदूर चढ़ाया जाता है, और यह भी माना जाता है कि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे, जबकि शादी के बाद महिला के ब्रह्मचर्य व्रत का अंत होकर ग्रहस्थ जीवन की शुरुआत होती है. यही कारण है कि यह परंपरा इन राज्यों में खास रूप से निभाई जाती है.
तरक्की का संकेत सिंदूर की लंबी रेखा
सनातन धर्म में सिंदूर की रेखा को महिला के पति की तरक्की का प्रतीक भी माना जाता है. जितनी लंबी सिंदूर की रेखा होती है, उतनी ही अधिक तरक्की की संभावना मानी जाती है. इस कारण महिलाएं हमेशा इस रेखा को लंबा रखने का प्रयास करती हैं. यह रेखा सिर्फ सौंदर्य तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह समृद्धि और खुशहाल जीवन के प्रतीक के रूप में देखी जाती है.
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कुंवारी कन्याओं के लिए भी महत्व
अंत में यह भी माना जाता है कि यदि किसी कुंवारी कन्या पर किसी शादीशुदा महिला का सिंदूर गिर जाता है, तो उसकी शादी जल्दी होने की संभावना होती है. यह एक प्रकार की शुभ शुरुआत मानी जाती है, जो भविष्य में अच्छे और समृद्ध जीवन की ओर इशारा करती है.
January 28, 2025, 19:10 IST
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