माता-पिता अनपढ़…मोहल्ले की 11th-12th करने वाली पहली लड़की, यहां से शुरू कर बबिता बनीं लेखा अधिकारी-Her parents are illiterate and the financial condition of the house is also poor. Despite this, Babita from Madhubani qualified BPSC and became an accountant.


मधुबनी : कहते हैं कि जहां चाह वहीं राह, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मधुबनी के बसैठा की रहने वाली बबिता ने. बबिता के पिता मामूली पैसों पर दिहाड़ी करने वाले व्यक्ति हैं. कभी काम मिलता है तो कभी नही…ऐसे में बबिता के लिए अधिकारी बनना आसान नहीं था. पिता सुरेंद्र राम अनपढ़ होने के बावजूद बेटी को पढ़ाई के लिए हौसला देते रहे. पिता के संघर्ष ने बबिता का करियर बना दिया. बबिता अब बीपीएससी क्वालीफाई कर लेखा अधिकारी बन चुकी है.

मुहल्ले में शिक्षित नहीं हैं लोग
यूं तो बसैठा गांव शिक्षाविदों से भरा हुआ है बावजूद इसके बबीता के अनुसूचित मुहल्ले में साक्षर लोगों की संख्या बेहद कम है. बबिता 11th, 12th और graduation, पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली मोहल्ले की इकलौती लड़की हैं. इनका बचपन काफी अभाव में गुजरा है. परिवार में इनके अलावा दो भाई और एक बहन है. पिता सुरेंद्र राम कभी ₹300 पर तो कभी ₹500 पर मजदूरी करने जाते हैं. इसी से उनका घर चलता है.

वर्ष 2020 में बीपीएससी द्वारा हुए एग्जाम में बबीता ने बाजी मारी और उनका चयन लेखा अधिकारी के तौर पर हो गया. हालांकि पिता और माता इस बात से अनजान है कि उनकी बेटी का चयन किस पद पर हुआ है. वह अभी भी कहते हैं की सरकारी नौकरी लगी है.

पटना में कर रही जॉब
हालांकि बबीता के चयन के बाद घर की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है. पहले जो घर फूस का हुआ करता था. अब उसकी नींव रखी जा चुकी है शायद अगले कुछ महीनों में घर भी बन जाए. बावजूद इसके पिता ने अपना काम नहीं छोड़ा है. बातचीत के क्रम में पिता सुरेंद्र राम बताते हैं कि उनकी बेटी पटना में पद स्थापित है. वह अपने और बच्चों को शिक्षा देना चाहते हैं ताकि वह उनकी बेटी की तरह ही उनका मान सम्मान बढ़ा सके. इस समृद्ध गांव के अति पिछड़ा वर्ग से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचने वाली बबीता पहली लड़की है और दूसरों के लिए मिसाल भी है.

FIRST PUBLISHED : June 15, 2024, 09:44 IST



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