मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईडी पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया


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High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जज साहब ईडी के एक्शन से इतना गुस्सा हो गए कि उसे पहले फटकार लगाई और फिर उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया. हालांकि कोर्ट ने ईडी को 4 हफ्ते …और पढ़ें

जब भरे कोर्ट में जज ने लगाई ED को जमकर फटकार, कहा- भरो 1 लाख रुपये का जुर्माना

एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी ईडी को फटकार लगाई

मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने और दो पक्षों के बीच सिविल विवाद को आपराधिक मामले में बदलने के लिए ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया और मामले में शिकायतकर्ता पर भी समान जुर्माना लगाया.

हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता या ईडी द्वारा आरोपित धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं देखा गया है. यदि कोई धोखाधड़ी शामिल नहीं है, तो वर्तमान मामले में कोई अपराध की आय या आपराधिक गतिविधि का पता नहीं चला है. हाईकोर्ट ने ईडी को सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया.

क्या है मामला?
शिकायतकर्ता गुल आछरा ने 2007 में राकेश जैन से कमला डेवलपर्स के अशोक कॉन्क्लेव में एक कमर्शियल कॉम्पलेक्स खरीदा था ताकि एक होटल बना सके. उन्होंने होटल में लग्जरी सुविधाओं को बनाने का काम सदगुरु एंटरप्राइजेज को दिया और ₹4.27 करोड़ का पेमेंट भी किया. बीएमसी से ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट मिलने में कुछ बदलाव हुए जिसके चलते एग्रिमेंट के नियमों के मुताबिक उल्लघंन हुआ. इनको सदगुरु एंटरप्राइजेज ने लिखित में स्वीकार किया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इसका जिक्र भी किया है.

हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक डेवलपर को बिक्री समझौते में प्रवेश करने और एक ही परिसर में अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक अन्य समझौते के जरिए एक साथ समझौते के निष्पादन की अनुमति देने से रोकता है. शिकायतकर्ता आछरा ने सदगुरु एंटरप्राइजेज को किए गए भुगतान का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि जैन ने इस संदिग्ध पैसे या ‘अपराध की आय’ से एक अन्य इमारत में दो फ्लैट और एक गैरेज खरीदा. हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ वादे, समझौते या अनुबंध का उल्लंघन अपने आप में आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनाता.

शिकायतकर्ता ने क्या किया था?
शिकायतकर्ता गुल आछरा की आर्थिक अपराध शाखा और मालाड पुलिस के पास की गई दो शिकायतें नहीं ली गईं क्योंकि उन्होंने इसे सिविल विवाद बताया. फिर उन्होंने अंधेरी मजिस्ट्रेट कोर्ट का रुख किया जिसने विले पार्ले पुलिस को मामले की जांच करने का निर्देश दिया. विले पार्ले पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और बाद में चार्जशीट दाखिल की. हाईकोर्ट ने नोट किया कि गुल आछरा ने ईओडब्ल्यू और मालाड पुलिस की पहले की जांच को छुपाया और चाहते थे कि मामला विले पार्ले में दर्ज हो. इसके बाद कई कानूनी केस दर्ज हुए.

यह कोई धोखाधड़ी नहीं है: हाईकोर्ट
मंगलवार को अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि यह देखा गया है कि यह कोई धोखाधड़ी नहीं है. शिकायतकर्ता ने स्पष्ट रूप से पक्षों के बीच एक स्पष्ट सिविल विवाद को आपराधिक मामले में बदलने की कोशिश की है. शिकायतकर्ता को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया गया. उसे समझौतों के तहत अतिरिक्त सुविधाओं के साथ उसकी संपत्ति मिली, इसलिए आपराधिक मामला दर्ज करना कानून और कानूनी प्रणाली की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है.

हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी ने विभिन्न समझौतों और पक्षों के बीच पत्राचार स्पष्ट रूप से उनके आपसी अधिकारों को स्पष्ट करते हुए दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया है. ईडी ने बिना सोचे-समझे या रिकॉर्ड की जांच किए बिना शिकायतकर्ता के झूठे मामले का समर्थन किया है. यह मामला शिकायतकर्ता और ईडी पर जुर्मना लगाने के लिए उपयुक्त है क्योंकि वर्तमान तथ्यों में आपराधिक कार्रवाई को लागू करने और डेवलपर को आपराधिक कार्रवाई से परेशान करने के लिए था.

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