मुन्ना नेपाली को सैल्यूट…बस चलाते-चलाते आया हार्ट अटैक मगर याद रहा फर्ज, ड्राइवर ने स्टीयरिंग पर ही तोड़ दिया दम पर…


हाइलाइट्स

मुजफ्फरपुर में बस चलाते वक्त अचानक ड्राइवर को आया हार्ट अटैक. ड्राइवर ने पहले बस साइड लगाई फिर स्टीयरिंग पर ही तोड़ दिया दम.

प्रियांक सौरभ/मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर में चलती बस के ड्राइवर की हार्ट अटैक से मौत हो गई. उन्होंने बस की स्टीयरिंग पर ही दम तोड़ दिया, लेकिन यात्रियों से भरी बस को ड्राइवर ने मौत से पहले किसी तरह सड़क किनारे लगा दिया. बता दें कि बस में 30 से अधिक यात्री सवार थे अगर ड्राइवर थोड़ी सी भी चूक कर जाते तो नेशनल हाईवे पर बहुत बड़ा हादसा हो सकता था, लेकिन ड्राइवर को मरते-मरते भी अपना कर्तव्य याद रहा और होश खोते-खोते भी अपनी जिम्मेदारी निभाकर ही दम तोड़ा.

मृतक चालक की पहचान पटना के मीठापुर निवासी 60 वर्षीय मुन्ना नेपाली के रूप में हुई है. घटना तब हुई जब किशनगंज से पटना जा रही यात्रियों से भरी कामाख्या ट्रेवल्स की बस के ड्राइवर मुन्ना नेपाली को अचानक हार्ट अटैक आया, जिसके बाद बस अनियंत्रित होने लगी. ड्राइवर मुन्ना नेपाली ने मुजफ्फरपुर के कुढ़नी इलाके के बलिया ओवरब्रिज के पहले बस को साइड में रोक दिया और फिर स्टीयरिंग पर ही दम तोड़ दिया.

मृतक ड्राइवर के शव को कुढ़नी थाना की पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए SKMCH भेज दिया, वहीं सभी यात्रियों को दूसरे बस से गंतव्य के लिए भेजा गया. बस के अन्य स्टाफ और यात्रियों ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने के कारण ड्राइवर की मौत हुई. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस पहुंचकर मामले की छानबीन में जुट गई और यात्रियों को दूसरी बस से गंतव्य तक भेज दिया. ड्राइवर की मौत पर बस में बैठे लोगों ने दुख जताया, वहीं बस को इस हालत में भी सुरक्षित साइड में रोककर बड़ी दुर्घटना से बचाने के लिए उसकी प्रशंसा करते थक नहीं रहे.

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल करीब 6 करोड़ लोगों की मौत होती है. इनमें से लगभग 32% मौतों की वजह कार्डियोवस्कुलर डिजीज है. यह बीमारी दुनिया में सबसे अधिक मौतों की वजह बनती है. हर वर्ष लगभग पौने दो करोड़ लोग किसी-न-किसी हार्ट डिजीज के कारण जान गंवा रहे हैं.

दरअसल, आमतौर पर दिल से जुड़ी शिकायतें बड़ी उम्र में आती हैं. ऐसा इसलिए कि उम्र बढ़ने के साथ बॉडी ऑर्गन्स कमजोर होते जाते हैं और उनकी फंक्शनिंग में समस्याएं आने लगती हैं. पहले हार्ट डिजीज के ज्यादातर पेशेंट्स 60 साल से अधिक उम्र के होते थे, लेकिन अब नई समस्या गंभीर होती जा रही है क्योंकि बीते कुछ वर्षों में 30 साल से कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं. कोविड के बाद से तो जैसे हार्ट अटैक के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं.

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